हर्षिल सहित उत्तरकाशी के अन्य स्थानों के सेब को देश की विभिन्न मंडियों में स्थान देने के लिए उद्यान विभाग की ओर से इस वर्ष विशेष योजना के तहत कार्य कर रहा है। इस वर्ष जनपद का सेब उत्तराखंड एप्पल की पेटियों में मंडियों में भेजा जाएगा जिससे इस बार सेब के ठेकेदार मंडियों में उत्तरकाशी के सेब को हिमाचल प्रदेश का सेब बताकर नहीं बेच पाएंगे। वहीं हर्षिल के सेब के लिए भी अलग से पेटियां वितरित की जाएगी। यह पेटियां 25 जून से जनपद के सभी क्षेत्रों में काश्तकारों को उद्यान विभाग 50 प्रतिशत छूट पर देगा।
उत्तरकाशी जनपद में सबसे अधिक सेब का उत्पादन आराकोट बंगाण सहित नौगांव की स्योरी पट्टी में होता है। वहीं उसके बाद हर्षिल घाटी सहित पुरोला और अन्य स्थानों पर होता है। हर्षिल का सेब मंडियों में अपनी गुणवत्ता और रसीलेपन के लिए अलग से विशेष पहचान रखता है लेकिन यहां पर पेटियों की कमी के कारण आराकोट से लेकर हर्षिल का सेब हिमाचल प्रदेश की पेटियों में मंडी तक पहुंचता था जिससे उत्तरकाशी और प्रदेश के सेब की अपनी कोई पहचान नहीं रहती थी।
इस वर्ष जनपद के लिए उद्यान विभाग की ओर से चार लाख पेटियां मंगवाई गई हैं जिनके बाहर उत्तराखंड एप्पल लिखा गया है। यह पेटियां 25 जून से जनपद के सभी क्षेत्रों में काश्तकारों को उद्यान विभाग 50 प्रतिशत छूट पर देगा। आराकोट सहित नौगांव में सेब के फलों का उत्पादन जुलाई में शुरू हो जाता है तो वहीं हर्षिल में सेब का उत्पादन सितंबर के अंतिम और अक्तूबर में होता है। इसलिए हर्षिल घाटी के सेब के लिए उद्यान विभाग ने अलग से पेटियां मंगाने की योजना बनाई है जिस पर उत्तराखंड हर्षिल एप्पल लिखा होगा।
उत्तरकाशी जनपद में हर वर्ष करीब 25 हजार मिट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है। जिला उद्यान अधिकारी डीके तिवारी ने बताया कि इस वर्ष उत्तराखंड एप्पल के नाम से काश्तकारों को सेब की पेटियां दी जा रही हैं जिससे यहां के सेब की मंडियों में अलग पहचान बने। वहीं काश्तकारों को 50 प्रतिशत सब्सिडी पर यह पेटियां दी जाएगी।