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Saturday, May 17, 2025

कई शिक्षक आज होंगे सेवानिवृत्त,शिक्षक कांता प्रसाद को मिले होते प्रमोशन तो प्रधानाध्यापक या प्रधानाचार्य के पद से होते रिटायर


देहरादून। आज उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा से कई शिक्षक आज सेवानिवृत हो रहे हैं । ऐसे ही शिकक कांता प्रसाद सती । शिक्षा के प्रति उनकी सेवा सरहानीय है । वर्तमान में राजकीय इण्टरकॉलेज हरबर्टपुर से प्रवक्ता अंग्रेजी के पद से सेवानिवृत होने वाले कांता प्रसाद सती ने न केवल छात्रों को ज्ञान दिया, बल्कि नैतिक मूल्यों, अनुशासन और चरित्र निर्माण का भी बीजारोपण किया। इनकी प्रथम नियुक्ति सहायक अध्यापक अंग्रेजी के पद पर राइका कनारा लमगड़ा अल्मोड़ा से आरम्भ हुई । आवासीय विद्यालय राजीव गांधी नवोदय विद्यालय देहरादून में सती द्वारा आठ वर्षों तक सेवा दी गई । कांता प्रसाद सती के न केवल पूर्व विद्यार्थी उच्च पदों पर आसीन हैं, बल्कि दोनों पुत्र भी सिविल सेवा परीक्षा से चयनित होकर प्रशासनिक सेवाओं में कार्यरत हैं। उनके बड़े पुत्र हेमंत सती आई ए एस वर्तमान में जिलाधिकारी, साहिबगंज (छत्तीसगढ़) के पद पर कार्यरत हैं, जबकि छोटे पुत्र आशुतोष सती मध्य प्रदेश में डाक विभाग में महाप्रबंधक के पद पर सेवाएं दे रहे हैं। सती जी का मानना है कि एक शिक्षक के रूप में इससे बड़ा पुरस्कार कुछ और नहीं हो सकता कि उसके विद्यार्थी समाज में एक अच्छा नागरिक होने के साथ-साथ उच्च पदों पर कामयाब हो कर सफल जीवन यापन करें । यह इस बात का प्रमाण है कि एक शिक्षक का ज्ञान और संस्कार न केवल विद्यालय तक सीमित रहते हैं, बल्कि उनकी प्रेरणा से संपूर्ण समाज को लाभ मिलता है।

 सती का सेवा जीवन कई उपलब्धियों से भरा रहा, किंतु यह कहना गलत नहीं होगा कि यदि विभाग द्वारा समय पर पदोन्नति दी गई होती तो वे आज प्रधानाध्यापक या प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत्त हो रहे होते। यह केवल उनकी व्यक्तिगत क्षति नहीं है, बल्कि यह समूचे शिक्षा जगत की पीड़ा है कि योग्य शिक्षकों को उनके उचित पद का सम्मान नहीं मिल पाया। आज उनके साथ उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा में अनेक शिक्षक सेवानिवृत्त हो रहे हैं, जो अपने कार्य और योग्यता के आधार पर उच्च पद के अधिकारी थे, किंतु विभागीय उदासीनता के कारण उन्हें वह सम्मान नहीं मिला जिसके वे हकदार थे। शिक्षा विभाग के लिए यह एक आत्ममंथन का विषय है कि भविष्य में ऐसे समर्पित शिक्षकों को उनका वाजिब अधिकार और सम्मान समय पर मिले, ताकि वे अपने सेवाकाल में ही अपने परिश्रम का न्यायपूर्ण प्रतिफल प्राप्त कर सकें।



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