उत्तराखंड में लगातार बारिश के बाद हरिद्वार और ऋषिकेश में गंगा का विचित्र रूप देखकर लोग घबरा गए। गंगा ऋषिकेश में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। इसके कारण स्थानीय प्रशासन ने तटीय क्षेत्रों में रहने वालों को अलर्ट किया है।
सोमवार को गंगा लक्ष्मणझूला, स्वर्गाश्रम, मुनि की रेती, तपोवन और त्रिवेणी घाट पर बहती रही। त्रिवेणीघाट पर बना आरतीस्थल भी जलमग्न हो गया है। तब गंगा का पानी मुख्य गेट तक पहुँचा। वहीं, परमार्थ निकेतन का घाट भी जल गया।
चंद्रेश्वर नगर, कोतवाली ऋषिकेश क्षेत्र में भारी जलभराव से कई घरों में लोग फंस गए। लोगों को गले तक भरे पानी से जल पुलिस और आपदा राहत दल ने बचाया।
जलभराव से प्रभावित लोगों से मुलाकात कर जिलाधिकारी सोनिका ने उनकी समस्याओं को सुना। उन्हें प्रभावितों को जल्द से जल्द राहत देने के निर्देश भी दिए गए हैं, साथ ही स्थलीय निरीक्षण भी किया गया है।
हरिद्वार में गंगा का जलस्तर दोपहर दो बजे 295.70 मीटर था, जो खतरे के निशान से 1.70 मीटर ऊपर था। 373130 क्यूसेक जल भी गंगा में बह रहा है।
इसके परिणामस्वरूप पुलिस ने बजरी बस्ती, सती और बैरागी कैंप सहित कई क्षेत्रों को बंद कर दिया है। बाहर से जल भराव वाले क्षेत्र में कोई नहीं जा सकता। जल पुलिस की कई टीमें जल भराव वाले इलाकों में फंसे लोगों को बाहर निकालने की कोशिश कर रही हैं।
गंगा का जलस्तर खतरे का निशान पार करते हुए सप्तऋषि बंध के आसपास के क्षेत्र में प्रवेश करने लगा। गंगा के किनारे बनी लगभग ३०० झुग्गी झोपड़ियां जलमग्न हो गईं।