सरकारी, गैर सरकारी, भारतीय और वैश्विक एजेंसियों की हाल ही में जारी रिपोर्ट्स में तथ्य, अनुमान और आंकड़े सकारात्मक हैं, लेकिन कुछ क्षेत्रों में सुधार की जरूरत भी है।
भारत ने अपनी आजादी के 76 वर्षों में क्या पाया? इनकी मदद से हम कैसा देश बना रहे हैं? क्या चुनौतियां हैं? इसका क्या अर्थ है? अमर उजाला ने इन्हीं प्रश्नों के उत्तर खोजते हुए कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों का विश्लेषण किया। हमने इनमें किए जा रहे कार्यों, हासिल हो रही उपलब्धियों, नए चलन और आम लोगों की अपेक्षाओं और उम्मीदों को भी देखा। सरकारी, गैर सरकारी, भारतीय और वैश्विक एजेंसियों की हाल ही में जारी रिपोर्ट्स में तथ्य, अनुमान और आंकड़े सकारात्मक हैं, लेकिन कुछ क्षेत्रों में सुधार की जरूरत भी है।
काम..।10 साल में 7 करोड़ रोजगार चाहिए
जुलाई में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद अध्यक्ष बिबेक देबरॉय ने कहा कि भारत में 50 लाख से 80 लाख नए रोजगार की आवश्यकता है। एचएसबीसी की अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने पिछले महीने कहा कि भारत को 2030 तक 7 करोड़ नई नौकरियां बनानी चाहिए। वर्तमान परिस्थितियां, हालांकि, 2.4 करोड़ नौकरियां बनाने का संकेत देती हैं। ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भी नौकरियों पर बड़े खतरे की तरह देखा जा रहा है..।इस दशक में देश का सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा इनसे पार पाते हुए अपने युवाओं को नौकरी देना है। मैं एक डिजिटल भारत का सपना देखता हूँ जहां 1.4 अरब भारतीय इनोवेशन एक-दूसरे से जुड़े होंगे। एक डिजिटल भारत जहां गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देश के सबसे दुर्गम कोनों तक पहुंची है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
दशक के अंत तक प्रति व्यक्ति आय दोगुनी
स्टैंडर्ड चार्टर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक भारतीयों की औसत कमाई 70% बढ़ेगी।2023 में यह 2,450 डॉलर से 4,000 हजार डॉलर (3.31 लाख रुपए) प्रति वर्ष पहुंचने का अनुमान है। हालाँकि, मॉर्गन स्टेनली की नवंबर 2022 की रिपोर्ट ‘This Is India’ में दावा किया गया था कि प्रति व्यक्ति आय 5,242 डॉलर तक बढ़ सकती है, जो इससे कहीं अधिक था।2047 तक, Arnest and Young ने प्रति व्यक्ति आय 15,000 डॉलर पार कर दी है। भारत विकसित देशों में आ जाएगा।
अर्थव्यवस्था…2028 में जर्मनी, 2075 में अमेरिका को पीछे छोड़ देगा
एसबीआई की अगस्त में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, भारत, 3.4 लाख करोड़ डॉलर की जीडीपी के साथ दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, और 2027 से 2028 तक जापान और जर्मनी को पीछे छोड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी। भारत, अमेरिका और चीन के बाद नाम होगा। केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने अनुमान लगाया कि 6.1 से 6.5 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ने पर जीडीपी 2025 या 2026 तक 5 लाख करोड़ डॉलर के पार जा सकती है और 2030 तक 10 लाख करोड़ डॉलर के पार जा सकती है। 5 और 10 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना, या दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनना, भावी विकास को और तेज करेगा।
गोल्डमैन सैश ने 2075 तक अमेरिका को भी पीछे छोड़ने का अनुमान लगाया है। उसने कहा कि 2040 में चीन की जीडीपी 34.1 लाख करोड़ डॉलर होगी, जबकि अमेरिका 32 लाख करोड़ डॉलर की है। 2075 में भारत की जीडीपी 52.5 लाख करोड़ रुपये होगी, जबकि अमेरिका की 51.5 लाख करोड़ रुपये होगी। चीन उस समय 57 लाख करोड़ डॉलर के आसपास हो सकता है।
उत्पाद: वृद्धि से करोड़ों काम मिलेंगे
3 अगस्त को, वी अनंत नागेश्वरन, मुख्य आर्थिक सलाहकार, ने कहा कि 7 से 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर रही तो 2030 तक आशाजनक परिणाम मिलेंगे। सरकार और उद्योग भारत को उत्पादन क्षेत्र का वैश्विक केंद्र बनाने और 2025 तक उत्पादन का जीडीपी में 25 प्रतिशत योगदान हासिल करने का लक्ष्य रख रहे हैं। 2030 तक देश में 1 लाख करोड़ डॉलर के उत्पाद बनेंगे।इसे 2047 तक 20 लाख करोड़ डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इतनी वृद्धि 2030 तक करोड़ों नौकरियां पैदा करेगी।
परिवर्तन: विद्युत दौर और बढ़ेगा
जुलाई में नीति आयोग और इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में नए खरीदे गए वाहनों में इलेक्ट्रिक वाहन 1.8 प्रतिशत थे, लेकिन यह एक साल में ढाई गुना बढ़कर 2022 में 4 प्रतिशत हो गया। 2030 तक इलेक्ट्रिक कारों की संख्या लगभग 30% तक पहुंचाने का लक्ष्य है। यानी हर तीसरी कार विद्युत चालक होगी। लक्ष्य बसों में ४० प्रतिशत और दोपहिया वाहनों में ८० प्रतिशत है। यह परिवहन क्षेत्र में सबसे बड़ा बदलाव है।
IT क्षेत्र: कारोबार दोगुना होगा
नासकॉम, सूचना एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र की 3,000 कंपनियों का संगठन, ने मार्च में जारी की गई रिपोर्ट में दावा किया कि क्षेत्र 2030 तक 50,000 करोड़ डॉलर के पार हो जाएगा। 2023 में यह 8.4% बढ़कर 24,500 करोड़ डॉलर था।इसके पीछे भविष्य की नीतियों, युवा प्रतिभा, आईटी सेवाओं का विस्तार और लोगों में विश्वसनीयता है। अभी भी क्षेत्र में 54 लाख लोग काम कर रहे हैं।
स्टॉक बाजार: 2075 तक विश्व का 12 प्रतिशत हिस्सा
अमेरिकी बैंकिंग ग्रुप मॉर्गन स्टेनली की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक भारतीय बाजार का पूंजीकरण 10 लाख करोड़ डॉलर से अधिक हो जाएगा। गोल्डमैन सैश के अनुसार 2022 में भारत वैश्विक बाजार पूंजीकरण में सिर्फ 3 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता था, लेकिन 2050 तक 8 प्रतिशत और 2075 तक 12 प्रतिशत हो जाएगा। 2030 तक, निफ्टी 50 हजार तक पहुंच सकता है। यह मौजूदा 19.5 हजार से लगभग ढाई गुना होगा। 2023 से 2030 तक, विदेशी कारोबार नीति ने कुल निर्यात को 2 लाख करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
उद्यान क्षेत्र: दशक के अंत तक तीन गुना
भारत में वायु परिवहन क्षेत्र में तेजी से प्रगति हुई है। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ने जुलाई में कहा कि 2030 तक 240 हवाई अड्डों, हेलिपोर्टों और एयरोड्रम होंगे। अभी 148 छोटे-बड़े हवाई अड्डे हैं। 2014 में 6 करोड़ लोग हवाई यात्रा करते थे, लेकिन आज 14.5 करोड़ हैं. 2030 में 42 करोड़ लोग हवाई यात्रा करेंगे, ऐसा अनुमान है। अभी 700 विमान सेवा हैं, 2030 तक 1400 हो जाएंगे।
सड़कें और रेलवे: विकास का रास्ता
63 लाख किलोमीटर सड़कों और 68 हजार किलोमीटर रेल लाइनों वाले भारत में यह दोनों ही क्षेत्र तेजी से बढ़ रहे हैं। 70% माल ढुलाई और 90% नागरिक यात्रा विश्व का दूसरा सबसे बड़ा सड़क जाल है। 2030 तक एनआरआईडीए गांवों में 50 हजार किमी की सड़कें बनाएगी। 2050 तक, रेलवे का लक्ष्य अधिकांश रेलवे ट्रैक को 130-160 km/h की रफ्तार के लिए अपग्रेड करना और माल ढुलाई का 45% हिस्सा पटरियों पर लाना है।
निर्यात : 2.6 गुना तक बढ़ाने का लक्ष्य
वैश्विक निर्यात में भारत का योगदान बढ़ा है, स्टैंडर्ड चार्टर्ड की मई 2023 में जारी रिपोर्ट के अनुसार उत्पादों का निर्यात सालाना 7.5% की वृद्धि से 2030 तक 77,300 करोड़ डॉलर पहुंच सकता है। वर्तमान में यह 40,100 करोड़ रुपये है। अंतरराष्ट्रीय कारोबार नीति 2023 में निर्यात को 2030 तक 2 लाख करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।
संचार: घरेलू तकनीकों पर 6जी
5जी नेटवर्क शुरू करते हुए मिले अनुभवों ने दूरसंचार क्षेत्र में घरेलू तकनीकों की अहमियत समझाई। भारत सरकार ने मार्च में 6जी विजन की घोषणा करते हुए संकेत दिया कि नई पीढ़ी की टेलीकॉम सेवाओं के लिए घरेलू तकनीकें बनाई जाएंगी। 6 जी तकनीक के 200 पेटेंट अभी तक देश को मिले हैं, जो निर्यात में लाभदायक होगा। 2025 तक हर गांव में ऑप्टिकल फाइबर इंटरनेट होगा।
शुरूआत: 500 यूनिकॉर्न बनाने की राह पर अग्रसर
सरकार से पंजीकृत 50 हजार और अन्य 30 हजार स्टार्टअप व 105 यूनिकॉर्न के साथ नई कंपनियों के विकास के लिए आज भारत दुनिया के प्रमुख देशों में शामिल है। अगले पांच वर्षों में वित्त, शिक्षा, ई-कॉमर्स और स्वास्थ्य क्षेत्रों में नवाचारों का दौर चलेगा। AI, रक्षा उपकरण, AR और VR तकनीकों की शुरुआत का समय बताया जा रहा है। भारत ने जून में गोवा में हुई जी20 स्टार्टअप20 एंगेजमेंट ग्रुप बैठक में कहा कि जी20 देशों को 2030 तक स्टार्टअप के विकास के लिए 1 लाख करोड़ डॉलर का कोष देना चाहिए।
अकेले आईटी क्षेत्र में 2025 तक 37,000 स्टार्ट अप आ सकते हैं
‘भारत में एप इकोनॉमी…’ में रिपोर्ट में ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम ने दावा किया कि 2030 तक एप आधारित कारोबार 79,200 करोड़ डॉलर का होगा। अभी यह १०,५०० करोड़ रुपये का है। इसकी वजह सस्ते इंटरनेट और अधिकांश नागरिकों के हाथों में स्मार्टफोन होगी। 2022 में 67 करोड़ स्मार्टफोन उपयोग हो रहे हैं और 2030 तक 96 करोड़ हो जाएंगे। भारतीय ऐप डेवलपर्स इससे लाभ उठाएंगे।
ई-व्यापार: 3 साल तक सालाना 28% वृद्धि
बेन एंड कंपनी द्वारा भारतीय ई-कॉमर्स कारोबार पर जारी रिपोर्ट दावा करती है कि 2026 तक यह 28 प्रतिशत की सालाना दर से वृद्धि करेगी। इसके मूल्य 20 हजार करोड़ डॉलर होने का अनुमान है। कोविड के दौरान एक वर्ष में ७० प्रतिशत वृद्धि हुई ऑनलाइन शॉपिंग ने क्षेत्र को गति दी और लोगों को इसे खरीदारी का स्थायी तरीका मानने में भी मदद की।
पर्यटन स्थल: जीडीपी में योगदान बढ़ाएगा
पर्यटन क्षेत्र दो साल में कोविड महामारी की खस्ताहाली से उबर कर सुधार देख रहा है। केंद्र 2030 तक देश की जीडीपी में इस क्षेत्र का 25,000 करोड़ डॉलर का योगदान और 2047 तक 1 लाख करोड़ डॉलर का योगदान करने की उम्मीद करता है। 2024 तक यह 15,000 करोड़ रुपये का योगदान देगा। सालाना लगभग डेढ़ करोड़ विदेशी और घरेलू पर्यटक इसे तेज करेंगे।
अक्षय ऊर्जा…भारत तीसरा सबसे बड़ा देश
केंद्रीय ऊर्जा प्राधिकरण की अप्रैल में आई रिपोर्ट के अनुसार साल 2029-30 में देश को 2279.7 बिलियन यूनिट बिजली उत्पादन की जरूरत होगी। पिछले साल भारत ने अक्षय ऊर्जा उत्पादन में तीसरा स्थान हासिल किया था।
500 गीगावाट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य
आज भारत की बिजली का चालिस प्रतिशत गैर-जीवाश्म माध्यमों से बनाया जाता है। 2030 तक 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य है। इसका सबसे बड़ा लाभ ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में होगा।
पुरानी ऊर्जा: योगदान लगातार घट रहा है
2021–2022 में कोयले से बिजली उत्पादन क्षमता 56% थी, लेकिन मार्च 2023 तक यह 51% हो गई। 2006-07 में पन बिजली से उत्पादन क्षमता भी 26 प्रतिशत से 11 प्रतिशत पर आ गई। साथ ही, 2011-12 में 9 प्रतिशत थी सूर्य और पवन ऊर्जा से उत्पादित क्षमता आज 26 प्रतिशत है। भारत अभी सूर्य से 66,780 मेगावाट और पवन से 42,633 मेगावाट बिजली उत्पादन करने की क्षमता रखता है। 2029 से 2030 तक सूर्य से 92,580 मेगावाट और पवन से 25,000 मेगावाट बिजली बनाने का लक्ष्य है। 26,900 मेगावाट कोयले और 11,494 मेगावाट पनबिजली की उत्पादन क्षमता बढ़ाई जाएगी।
शून्य कार्बन उत्सर्जन: 2070 तक हमने नेट जीरो लक्ष्य हासिल कर लिया होगा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में देश को 2070 तक कार्बन उत्सर्जन शून्य करने का लक्ष्य रखा था। 2030 के दशक तक उत्सर्जन चरम पर पहुंच जाएगा, फिर 2050 तक आज के स्तर से 20 प्रतिशत कम हो जाएगा। तब गिरावट अधिक तेज होगी। भारत ने भी पिछले 14 वर्षों में ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन 33 प्रतिशत कम किया है, जिससे पृथ्वी को गर्म होने से बचाया जा सके और जलवायु परिवर्तन को रोका जा सके। 2030 तक इसे 2005 से 45 प्रतिशत कम करने का लक्ष्य रखा गया है। भारत इस लक्ष्य की ओर बढ़ता जा रहा है। यह बताता है कि हम भी कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य को पूरा करेंगे।