प्रदेश में घटित होने वाली आपदाओं से पूर्व मौसम की सटीक जानकारी मिल जाए तो इनसे होने वाले जान-माल के नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है। प्रदेश सरकार इसके लिए प्राइवेट एजेंसियों की मदद लेने जा रही है।
ताकि पिन प्वाइंट स्तर तक अलर्ट जारी किया जा सके। वर्ल्ड बैंक के 200 मिलियन डॉलर के एक प्रोजेक्ट के तहत शीघ्र इस दिशा में एमओयू पर हस्ताक्षर किए जा सकते हैं।
देश में अधिकांश राज्य भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की ओर से जारी किए जाने वाले डाटा पर निर्भर है। उत्तराखंड में आईएमडी के अलावा एफएसआई और डीजीआरआई चंडीगढ़ की ओर से भी मौसम संबंधी डाटा जारी किया जाता है।
आपदा प्रबंधन विभाग के सूत्रों की मानें तो इन एजेंसियों से पिन प्वाइंट (ग्रामीण स्तर तक) डाटा नहीं मिल पा रहा है। इसलिए अब इसके लिए कुछ प्राइवेट एजेंसियों की सेवाएं लेने पर विचार किया जा रहा है। जो पैसा लेकर मौसम संबंधी सूचनाएं देती हैं।
इन कंपनियों की ली जा सकती हैं सेवाएंइस क्षेत्र में एक्वा वेदर, स्काईमेट वेदर सर्विस, आईबीएम वेदन कंपनी, अर्थ नेटवर्क्स, एक्सप्रेस वेदर और वेदर रिस्क जैसी कुछ नामी कंपनियां भारत के अलावा दुनिया के तमाम देशों में अपनी सेवाएं दे रही हैं।
देश में केरल, ओडिशा, महाराष्ट्र और कर्नाटक समेत कई अन्य राज्य इन कंपनियों की सेवाएं ले रहे हैं। उत्तराखंड इनमें से किन और कितनी कंपनियों के साथ करार करेगा, इसका अभी खुलासा नहीं किया गया है।