उत्तराखंड के अजय ने नाम किया रौशन। दिल्ली विश्वविद्यालय में भौतिक विज्ञान विभाग में मिली जिम्मेदारी, असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर ली ज्वाइनिंग
उत्तराखंड: मन मे हौसला हो संकल्पित लक्ष्य हो तो मंजिल मिल ही जाती है। ऐसा ही उत्तरकाशी के एक साधारण परिवार के रहने वाले अजय शंकर बंगवाल ने कड़ी मेहनत कर दिल्ली विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर चयनित होकर जनपद का नाम रोशन किया है। नियुक्ति पत्र मिलने के बाद माता पिता को भी खुशी के आंसू आ गए। परिवार जनों ने मोहल्ले में मिठाईयां बांटी। मोहल्ले वालों ने कहा मेहनत का फल मिलता जरूर है।
अजय शंकर बंगवाल की प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती विद्यामंदिर इंटरमीडिएट कॉलेज चिन्यालीसौड जनपद उत्तरकाशी से हुई। इन्होनें हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से वर्ष 2014 में बीएससी की डिग्री हासिल की और वर्ष 2016 भौतिक विज्ञान में परास्नातक किया। उसके बाद भौतिक विज्ञान से आईआईटी बीएचयू से (पीएचडी) डॉक्टरेट किया।
और अब दिल्ली अब श्याम लाल कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) में भौतिक विज्ञान में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर ज्वाइनिंग ली।
अजय शंकर बंगवाल ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता- पिता और अपने गुरुजनों को दिया।
अजय शंकर बंगवाल ने ground0 को बताया कि सफल होने के लिए, सफलता की इच्छा,असफलता के भय से अधिक होनी चाहिए ! यदि आप सफलता चाहते हैं तो इसे अपना लक्ष्य ना बनाइये, सिर्फ वो करिए जो करना आपको अच्छा लगता है,और जिसमें आपको विश्वास है, और खुद-बखुद आपको सफलता मिलेगी।
अजय शंकर बंगवाल के पिता गुरु द्रोणाचार्य के नाम से विख्यात।
अजय के पिता नत्थी लाल बंगवाल विद्याभारती से संबद्ध सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज चिन्यालीसौड़ जनपद उत्तरकाशी में बतौर प्रधानाचार्य गुरु द्रोणाचार्य की भूमिका में है। जो अपने शिष्यों को अर्जुन और युद्धिष्ठर बनाने में जुटे हुए हैं। पिछले 27 वर्ष से विद्यालय में शिक्षा ही नहीं बल्कि सफलता रूपी विद्या का पाठ पढ़ा रहे हैं। इनके यज्ञ का प्रतिफल ये है कि यहां से सात विद्यार्थी पीसीएस परीक्षा में निकले हैं, जो विभिन्न विभागों में अधिकारी हैं। 10 विद्यार्थी चिकित्सक और 15 विद्यार्थी इंजीनियर बन चुके हैं। और 12 विद्यार्थी आज शिक्षक बनकर पढ़ा रहे हैं, पांच विद्यार्थी ऐसे हैं जो बैंक अधिकारी बन चुके हैं। जिनमें अजय शंकर बंगवाल भी शामिल हैं।
मूलरूप से टिहरी देवप्रयाग सौडू गांव निवासी 50 वर्षिय नत्थीलाल बंगवाल ने बताया कि 1994 से शिक्षा के कार्य में लगा हूं। आज भी वे बच्चों को हिंदी, सामाजिक विज्ञान, संस्कृत, रसायन विज्ञान की अतिरिक्त कक्षाएं पढ़ाते हैं। वे कहते हैं जो कार्य करता हूं वह पूरी ईमानदारी से करता हूं। जब शिक्षा के क्षेत्र में आया तब से कुछ और भी नहीं सोचा, बच्चों की शिक्षा कहीं प्रभावित न हो इसलिए अवकाश तक नहीं लिए, बल्कि स्कूल की छुट्टी के बाद भी निशुल्क रूप से बच्चों की अतिरिक्त कक्षाएं लगाई।
आज भी वे और उनके अन्य आचार्य हर रोज शाम चार बजे से लेकर छह बजे तक बच्चों को निशुल्क पढ़ाते हैं। शिक्षा के साथ बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार किया जाता है। खेलकूद से लेकर ज्ञान-विज्ञान की जिला, राज्य व विद्या भारती स्तर पर जितनी भी प्रतियोगिताएं होती हैं उन प्रतियोगिताओं में बच्चों से प्रतिभाग करवाया जाता है। विभिन्न विषयों के विद्वानों को भी स्कूल में आमंत्रित किया जाता है।
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