यानी जो सरकार अपने वादे के अनुसार 100 दिन में लोकायुक्त नहीं बना पाई, उस पर अब 56 दिनों में लोकायुक्त बनाने का दबाव है। इस प्रश्न पर सरकार फिलहाल मौन है। सचिव मुख्यमंत्री शैलेश बगौली का कहना है कि आदेश के बारे में अभी उन्हें जानकारी नहीं। आदेश प्राप्त होने के बाद ही वह कुछ कह सकते हैं।
त्रिवेंद्र सरकार लाई थी लोकायुक्त बिल
वर्ष 2017 सरकार गठन के बाद त्रिवेंद्र सरकार विधानसभा में लोकायुक्त बिल लाई थी। लेकिन विपक्ष की सहमति के बावजूद विधेयक को प्रवर समिति के सुपुर्द कर दिया गया। तब से विधेयक विधानसभा की प्रवर समिति के पास विचाराधीन है। विपक्ष ने इस मसले पर सरकार की भूमिका पर बार-बार सवाल उठाए।
लोकायुक्त नहीं बना, शिकायतें आती रहीं
लोकायुक्त संस्था पर लोगों को इतना भरोसा था कि नवंबर 2013 में लोकायुक्त पद से जस्टिस एमएम घिल्डियाल की विदाई के बाद भी शिकायतें आती रहीं। आरटीआई की सूचना के मुताबिक, शिकायतों का यह सिलसिला 15 जून 2022 तक चलता रहा। लेकिन सरकारें लोकायुक्त नहीं बना पाई। लोकायुक्त पद रिक्त होने के बाद भी 970 शिकायतें दर्ज हुईं। लोकायुक्त की नियुक्ति से लेकर जून 2022 तक लोकायुक्त में 8535 शिकायतें दर्ज हुईं, जिनमें से 6920 शिकायतों का निपटारा हुआ।
हम हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। इससे प्रदेश में शुचिता का माहौल बनेगा। पिछले आठ साल में भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार के जो मामले हुए हैं, वे सामने आ सकेंगे। कांग्रेस ने लोकायुक्त बनाए जाने को लेकर लगातार आवाज उठाई है। – करन माहरा, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस
भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस हमारी सरकार का संकल्प है। पिछले छह सालों में भाजपा सरकार ने भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने के लिए कठोर से कठोर कदम उठाए हैं। न्यायालय का जो आदेश होगा, उसका पालन होगा। – महेंद्र भट्ट, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा
आठ महीने में लोकायुक्त बनाने के संबंध में कोर्ट के आदेश की मुझे अभी जानकारी नहीं है। आदेश प्राप्त होने के बाद उसका परीक्षण करेंगे, तभी कुछ कहा जा सकता है। – शैलेश बगौली, सचिव, मुख्यमंत्री