अल्मोड़ा/स्याल्दे। स्याल्दे विकासखंड में 13 सरकारी प्राथमिक स्कूलों के भवन जर्जर हैं जिनके गिरने का खतरा है। स्कूलों की हालत ऐसी है कि हल्की बारिश में भी छत से पानी टपक रहा है
और बरामदे में बैठकर विद्यार्थियों की पढ़ाई हो रही है। दीवारों पर दरार पड़ने से इनके गिरने का खतरा बना है लेकिन सुधारीकरण और नवनिर्माण के प्रयास नहीं हुए। ऐसे में मानसूनकाल शुरू होते ही विद्यार्थी और शिक्षक परेशान हैं तो अभिभावकों अपने बच्चों की सुरक्षा के प्रति चिंतित हैं।
स्याल्दे विकासखंड के 13 जर्जर प्राथमिक विद्यालयों ने सरकारी शिक्षा की बेहतरी के दावों को खोखला साबित किया है। हैरानी की बात यह है कि विकासखंड मुख्यालय के विद्यालय की हालत सबसे खराब है। इन विद्यालय भवनों की छत और दीवारों पर दरारें पड़ने से इनके गिरने का खतरा बना है।
ऐसे में 350 से अधिक विद्यार्थी इन विद्यालयों में जान जोखिम में डालकर पढ़ने के लिए मजबूर हैं। स्कूल प्रबंधन ने चार साल में 12 से अधिक बार इन विद्यालयों के सुधारीकरण और नवनिर्माण का प्रस्ताव उच्चाधिकारियों को भेजा। उनके स्तर से प्रस्ताव शासन स्तर पर भी पहुंचा है लेकिन यह सरकारी फाइल में धूल फांक रहा है।
इन स्कूलों के भवन हैं जर्जर
राजकीय प्राथमिक विद्यालय स्याल्दे, तोलबुधानी, कुलांटेश्वर, सराईखेत, कलियालिगुड़, चिंतोली, देवाढौन, भ्याटी, पटलगांव, चितौड़खाल, उपराड़ी, चम्याड़ीगांजा, जैराज।
विकासखंड स्याल्दे के तहत जर्जर विद्यालयों भवनों के सुधारीकरण और नवनिर्माण का प्रस्ताव उच्चाधिकारियों को भेजा गया है। बजट न मिलने से यह संभव नहीं हो रहा। – वंदना रौतेला, खंड शिक्षाधिकारी, स्याल्दे।