बारिश से टिहरी बांध का जलस्तर भी धीरे-धीरे बढ़ने लगा है। पर्वतीय क्षेत्र में हो रही बारिश से झील का जलस्तर दो दिन में दो मीटर बढ़ गया है। जलस्तर बढ़ने के साथ ही विद्युत उत्पादन में भी इजाफा हुआ है। सोमवार को टिहरी बांध से करीब सात हजार यूनिट विद्युत उत्पादन हुआ है।
42 वर्ग किमी में फैली टिहरी बांध की झील में प्रति वर्ष करीब 15 फरवरी के बाद से जलस्तर भी घटने लगता है। यदि बारिश नहीं हुई तो जून आते-आते जलस्तर न्यूनतम आरएल (रिवर लेबल) 740 मीटर के करीब पहुंच जाता है जिससे विद्युत उत्पादन भी केवल 4-5 हजार यूनिट होता है।
इस वर्ष बीते 12 जून को टिहरी झील का जलस्तर न्यूनतम आरएल 741 मीटर तक पहुंच गया था। तब बांध से सिर्फ चाहर हजार यूनिट बिजली का उत्पादन हो रहा पा रहा था। बीते दिन पर्वतीय क्षेत्र में जमकर हुई बारिश के कारण टिहरी झील का जलस्तर दो मीटर बढ़ गया है।
सोमवार शाम चार बजे तक झील का जलस्तर आरएल 744.85 मीटर पहुंच गया है जबकि इससे पहले आरएल 742.90 मीटर के करीब था। भागीरथी नदी से 240.50 क्यूमेक्स, भिलंगना नदी से 102.67 क्यूमेक्स और सहायक नदियों से 109.55 क्यूमेक्स पानी झील में आ रहा है। झील से 260 क्यूमेक्स पानी छोड़ा जा रहा है। जलस्तर में वृद्धि होने से अब विद्युत उत्पादन भी धीरे-धीरे बढ़ने लगा है।24 जून तक टिहरी बांध से पांच मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन हो रहा था जो सोमवार को बढ़कर सात हजार यूनिट हो गया है। ऐसे में अब टीएचडीसी को उम्मीद है कि जलस्तर से विद्युत उत्पादन भी बढ़ेगा। जुलाई अंतिम सप्ताह और अगस्त माह में जब झील का जलस्तर अधिकतम आरएल 830 मीटर पहुंच जाता है तब बांध से प्रतिदिन अधिकतम करीब 25 से 30 हजार यूनिट विद्युत उत्पादन होता है।