सोमेश्वर (अल्मोड़ा) नामक स्थान। तहसील क्षेत्र के भंवरी गांव में लकड़ी लेने जंगल गए एक युवक की मौत संदिग्ध हालात में हुई। पुलिस का मानना है कि वह गधेरे में गिरकर मर गया होगा। शव को पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए जिला मुख्यालय भेजा है। एकमात्र बेटे की मृत्यु से परिवार शोक में है।
इसी सप्ताह भंवरी गांव के मंदिर में दो दिनी सामूहिक पूजा होगी। इस तैयारी के लिए मंगलवार सुबह नौ बजे कुछ युवा लकड़ी लेने जंगल गए। गांव के 28 वर्षीय दिग्विजय सिंह भंडारी के पुत्र जगत सिंह भंडारी ने अपने दोस्तों से कुछ देर बाद में जंगल में आने की घोषणा की। तब उसके साथी वन में चले गए।
दस बजे वह भी अकेला लकड़ी लेने चला गया, लगभग एक घंटे बाद, लेकिन देर शाम तक घर नहीं लौटा। जंगल से लौटे युवा लोगों ने दिग्विजय से मिलने से इनकार कर दिया। तब से वह खोज शुरू कर दी।
हर व्यक्ति ने एक साथ जंगल की खाक छानी। वह देर रात जंगल के बीच एक गधेरे में बेहोश पाया गया था। उसे तुरंत उप जिला चिकित्सालय भेजा गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
थानाध्यक्ष विजय सिंह नेगी ने अस्पताल प्रबंधन की सूचना पर शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला मुख्यालय भेजा। चिकित्सकों और अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि वह गधेरे में गिरने से मर जाएगा।
मां खाने का इंतजार करती रही
सोमेश्वर (अल्मोड़ा) नामक स्थान। भंवरी गाँव में इकलौते बेटे की मौत से परिवार की खुशी मातम में बदल गई। माता-पिता को अपने बेटे को इंजीनियर बनते देखने का सपना पूरा नहीं हुआ। दोपहर का खाना खाने के लिए मां ने बेटे के आने का इंतजार किया, लेकिन वह नहीं आया।
गांव के अधिकांश लोगों ने भंवरी गांव के स्थानीय मंदिर में पूजा की तैयारी की। युवाओं को जंगल से लकड़ी लाने का काम सौंप दिया गया, लेकिन दिग्विजय को पता नहीं था कि वहां मौत उसका इंतजार कर रही है। वह घने जंगल में अचानक गधेरे में गिर गया और काल के गाल में समा गया। घर पर, मां बसंती देवी ने अपने इकलौते बेटे के लिए भोजन तैयार किया और दोपहर में उसके साथ खाने का इंतजार किया, लेकिन बेटा नहीं आया।
पिता जगत सिंह ने अपने बेटे को नाज से पाला और उसे बीटेक कराकर इंजीनियर बनने का सपना दिखाया। पिछले साल बीटेक का कोर्स पूरा करने के बाद वह नौकरी की तलाश में जुटा था. उसके मां-पिता को लगता था कि उनके बेटे को जल्द ही इंजीनियर बनने का उनका सपना पूरा हो जाएगा, लेकिन एक घटना ने उनकी खुशियों को बर्बाद कर दिया। माता-पिता का इंजीनियर बनने का सपना अधूरा रह गया जब बेटा उन्हें छोड़कर चला गया। पिता और मां दोनों बेटे की मौत से दुखी हैं।