अल्मोड़ा। मेडिकल कॉलेज के अधीन बेस अस्पताल में मंगलवार को प्रभारी मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने एमआरआई मशीन का शुभारंभ किया। यहां एमआरआई मशीन स्थापित होने से अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ और बागेश्वर के मरीजों को फायदा होगा, उन्होंने कहा।
मंत्री ने कहा कि अब तक तीनों जिलों के मरीजों को एमआरआई जांच के लिए हल्द्वानी या किसी दूसरे शहर में जाना पड़ा है। अब उन्हें राहत मिलेगी और पैसे बचेंगे। आयुष्मान योजना के तहत मरीजों को एमआरआई की सुविधा निःशुल्क प्राप्त होगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के निरंतर प्रयास सफल रहे हैं।
उन्होंने अल्मोड़ा में एमआरआई मशीन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त किया। डॉ. धन, स्थानीय विधायक मनोज तिवारी, भाजपा का जिलाध्यक्ष रमेश बहुगुणा, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान और प्राचार्य डॉ. सीपी भैंसोड़ा इस अवसर पर उपस्थित थे।
जुगाड़ प्रणाली..।जांच और रिपोर्ट ऑनलाइन
अल्मोड़ा। बेस अस्पताल में, मेडिकल कॉलेज के अधीन, करोड़ों की एमआरआई मशीन दी गई है। प्रश्न यह है कि जांच कौन करेगा? इसका कारण यह है कि बेस अस्पताल में तीन रेडियोलॉजिस्टों में से एक भी नहीं है। स्वास्थ्य विभाग से उधार लेकर एक रेडियोलॉजिस्ट को लगाया गया है, जो अल्ट्रासाउंड करेगा। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन रिपोर्ट को ऑनलाइन देखने का दावा करता है।
बेस अस्पताल में पहले से ही स्वास्थ्य विभाग से उधार लेकर एक रेडियोलॉजिस्ट को तैनात कर अल्ट्रासाउंड कर रहे हैं। ऐसे में, एकमात्र रेडियोलॉजिस्ट को अल्ट्रासाउंड करने के साथ ही एमआरआई रिपोर्ट जांचना कठिन होगा। यहां हर दिन लगभग पाँचपाँच मरीज अल्ट्रासाउंड जांच के लिए आते हैं। चार से पांच मरीजों को एमआरआई जांच करनी चाहिए।
योग्य शिक्षक नहीं, बेहतर उपचार कैसे मिलेगा?
अल्मोड़ा। मेडिकल कॉलेज की स्थापना के दो साल बाद भी फैकल्टी का सिर्फ ४० प्रतिशत ही तैनाती हो सकी है। कॉलेज में संचालित विभागों को ९० फैकल्टी चाहिए। इसके बावजूद, प्रबंधन को अब तक 60 फैकल्टी ही मिल सकी है। महिला रोग विभाग में चार, रक्तकोष विभाग में पांच और अन्य विभागों में कई महत्वपूर्ण फैकल्टी की कमी है। ऐसे में दावों के बीच मरीजों को बेहतर कैसे मिलेगा? वहीं, लाखों रुपये वेतन देने के बाद भी सरकार को फैकल्टी नहीं मिल पा रही है, जिससे उसकी मुश्किल भी बढ़ गई है।