- हरिद्वार में ऐतिहासिक जीत की ओर बीजेपी पार्टी अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के साथ जुड़ा मिथक.
- भट्ट ने जहां संभाली कमान,वहां लहराया भगवा.
- सांगठनिक कौशल के धनी हैं महेंद्र भट्ट.
देहरादून। हरिद्वार पंचायत चुनाव में ऐतिहासिक जीत के साथ ही,भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट ने एक बार फिर साबित कर दिखाया है कि वे राजनेता के साथ साथ एक कुशल संगठन कर्ता भी हैं जिस हरिद्वार में बीजेपी विधानसभा की 11 में से आठ सीटें हार गई। जिस हरिद्वार में बीजेपी आज तक जिला पंचायत अध्यक्ष नहीं बना पाई, कोई ब्लॉक प्रमुख नहीं बना पाई महेंद्र भट्ट के नेतृत्व में उस हरिद्वार में बीजेपी जिला पंचायत अध्यक्ष से लेकर पांच ब्लाकों में निर्विरोध प्रमुख बनाने में कामयाब रही इसका श्रेय संगठन का मुखिया होने के नाते महेंद्र भट्ट को जाता है।
अध्यक्ष बनने के बाद से ही हरिद्वार पंचायत चुनाव को अपना पहला टारगेट बताने वाले भट्ट ने शुरुआती दिन से ही हरिद्वार में डेरा डाल दिया था। पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के साथ शक्ति केंद्र स्तर तक बैठकें करना, कार्यकर्ताओं में जीत के प्रति विश्वास पैदा करना महेंद्र भट्ट के सांगठनिक और राजनीतिक कौशल का एक नमूना है। जिसे एक बार फिर बतौर पार्टी मुखिया भट्ट ने साबित कर दिखाया। बीजेपी को पहली बार हरिद्वार में मिली इस बंपर जीत से पार्टी नेतृत्व उत्साहित है।हरिद्वार का पंचायत चुनाव लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी वर्कर्स में नई ऊर्जा का संचार करेगा।
दरअसल, महेंद्र भट्ट के लिए ये कोई नई उपलब्धि नहीं है। लेकिन, इस चुनाव ने उनके नाम को पार्टी के लिए चुनावी सफलता की गारंटी जरूर बना दिया है। दरअसल, महेंद्र भट्ट के साथ अब मिथक जुड़ गया है। 2022 में महेंद्र भट्ट भले ही अपना चुनाव हार गए हों, लेकिन इसे संयोग भी कहा जा सकता है कि पार्टी ने जहां जहां भट्ट को चुनाव प्रभारी बनाकर भेजा, पार्टी उस सीट पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही।
अभी तक अलग अलग समय में 8 राज्यों में लोकसभा व विधानसभा सीटों पर चुनाव प्रभारी बनकर गए भट्ट को हर चुनाव में सफलता हासिल हुई।
फिर चाहे वह छत्तीसगढ़ की जहांगीर पुरीचाप विधानसभा सीट हो,महाराष्ट्र की लातूर सीट हो, झारखंड की शक्ति सीट हो, बिहार की बेनीपुर व दरभंगा सीट, यूपी की बलिया सीट, हिमाचल की सोलन व गाज़ियाबाद की लोकसभा सीट व सभी पर बीजेपी की जीत हुई।
उत्तराखंड में भी भट्ट को तीन-तीन विधानसभा उपचुनावों की कमान सौंपी गई, जिसमें विकासनगर सीट पर वर्तमान प्रदेश उपाध्यक्ष कुलदीप कुमार के चुनाव की बात हो, चाहे थराली उपचुनाव में मुन्नी देवी या कर्णप्रयाग सीट पर अनिल नौटियाल को जीत दिलाने की बात हो भट्ट का जीत का ट्रैक रिकॉर्ड कायम रहा।
1971 में चमोली जनपद के ब्राह्मण थाला पोखरी गांव में जन्मे भट्ट स्नातकोत्तर शिक्षा ग्रहण करने तक आरएसएस के माध्यम से सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के विचारों को लेकर एबीवीपी में विभिन्न पदों का निर्वहन कर चुके थे।पार्टी संगठन में प्रदेश अध्यक्ष बनने से पूर्व उपाध्यक्ष, सचिव, युवा मोर्चा अध्यक्ष समेत छोटे बड़े तमाम दायित्वों को अंजाम देने वाले भट्ट दो बार विधायक रह चुके हैं।
भट्ट के पास सांगठनिक कामकाज का लंबा अनुभव है। 1991 से 93 तक भट्ट अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में सहसचिव रहे हैं। 93 से 96 तक परिषद के टिहरी विभाग के विभाग संगठन मंत्री रहे। 1996 से 1998 तक भट्ट भाजयुमो के प्रदेश सचिव और फिर 98 से 2000 तक भाजयुमो के प्रदेश महामंत्री रहे। साल 2000 से 2002 तक भट्ट भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष रहे। इसके बाद उनकी एंट्री भाजपा में हुई। जहां वे 2002 से 2004 तक राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य के साथ ही महाराष्ट्र और हिमाचल के प्रभारी भी रहे।
2005 से 2007 तक भट्ट ने बीजेपी में प्रदेश सचिव का कार्यभार संभाला 2012 से 2014 तक वे भाजपा के गढ़वाल संयोजक रहे और फिर 2015 से 2017 तक वे पार्टी में फिर से प्रदेश सचिव बनाए गए।
2002 में चमोली की नंदप्रयाग सीट से भट्ट उत्तराखंड विधानसभा में पहुंचे. 2017 से 22 के बीच भट्ट दूसरी बार विधायक बने।
बतौर प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के लिए पंचायत चुनाव पहली और बड़ी चुनौती थी। संगठन से लेकर सरकार और सरकार से लेकर बूथ लेवल कार्यकर्ताओं तक उनके बेहतरीन कोऑर्डिनेशन का ही कमाल था कि भट्ट यहां भी पार्टी को ऐतिहासिक जीत दिला ले गए।