देहरादून। राजधानी में चल रहे मेडिकल स्टोर्स में से अधिकतर दुकानें लंबे समय से नौसिखियों के भरोसे चल रही हैं। इन दुकानों पर टंगे लाइसेंस किसी ओर के नाम से हैं, जबकि यहां दवाओं की बिक्री किसी ओर के भरोसे की जा रही है। हालात है कि मेडिकल स्टोर्स संचालकों को यह लाइसेंस आसानी से किराए पर भी मिल जाते हैं। इसके बाद इन्हीं लाइसेंस के आधार पर इन दवा की दुकानों का संचालन अन्य व्यक्ति कर रहे हैं। ऐसे में यह नौसिखिए आमजन के स्वास्थ्य को खतरे में भी डाल रहे हैं।
किराए के लाइसेंस पर चल रहे कई मेडिकल स्टोर, नहीं बैठते फार्मासिस्ट, औषधी विभाग की मिलीभगत
मेडिकल स्टोरों में नियमों की अनदेखी के बावजूद जिले के किसी भी मेडिकल स्टोर पर ड्रग विभाग व जिला प्रशासन की ओर से समय-समय पर सख्ती से कार्रवाई तक नहीं की जा रही। किसी भी दवा दुकान पर दवाओं की बिक्री करने के लिए खुद फार्मासिस्ट का होना बेहद जरूरी है। लेकिन हालात हैं कि अधिकतर दुकानों पर नौसिखिए ही दवाएं बेच रहे हैं।
कुछ दिन तक फार्मासिस्ट के पास काम सीखने के बाद वह भी किराए के लाइसेंस पर दुकान का पंजीयन करवा लेते हैं और किसी ओर की डिग्री के आधार पर ही दुकान का संचालन शुरू कर रहे हैं। इसकी जानकारी ड्रग विभाग को होने के बाद भी सह दी जा रही है। वहीं कुछ मेडिकल संचालकों का नाम नहीं बताने की शर्त पर कहना है कि ड्रग इंस्पेंक्टर के नाम से समय-समय पर रुपए लिए जा रहे हैं। जिससे ड्रग विभाग द्वारा मेडिकल स्टोर में एक्सपायर दवाई सहित कई नियमों की अनदेखी की जा रही है।
इस पूरे मामले की शिकायत डिप्लोमा बेरोज़गार फ़ॉर्मसिस्ट संघ के अध्यक्ष सुधीर रावत ने अपने पदाधिकारियों के साथ सहायक ड्रग कण्ट्रोलर सुरेंद्र भंडारी को बिना फ़ॉर्मसिस्ट के चल रहे मेडिकल स्टोर की जानकारी दी उन्होंने मामले पर कार्यवाही की बात कही।