उत्तरकाशी। इलाके के किसानों का रुझान परंपरागत फसलों की बजाय फूलों की खेती की तरफ बढ़ रहा है। इन दिनों गेंदा फूल की खेती से ज्यादा मुनाफे की ‘खुशबू’ आ रही है। दो नाली जमीन पर 10 से 15 हजार का मुनाफा हो रहा है। शादी विवाह, स्वागत समारोह, धार्मिक समेत अन्य कार्यक्रमों में गेंदा के फूलों की सबसे ज्यादा मांग रहती है। किसान फूलो को स्थानीय बाज़ार चिन्यालीसौड़, गंगोत्रीधाम,यमनोत्रीधाम समेत टिहरी जिले के धनोल्टी में बेच रहे हैं।
उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ विकास खंड के अंतर्गत तुल्याड़ा गाँव के किसान बालक राम नौटियाल बताते हैं कि पिछले दो सालों से गेंदा के फूलों की खेती कर रहे हैं। करीब दो नाली भूमि में 10 हजार रुपये की लागत आती है। पाँच क्विंटल उत्पादन आ जाता है। 40 से 100 रुपये किलो तक फूल बिक जाते हैं। इस खेती से 25 से 30 हजार रुपये प्रति नाली मुनाफा हो जाता है। उन्होंने बताया कि मेरा परिवार सालों से परंपरागत खेती कर रहा है। मेरे पिताजी रोशन लाल सालों से नगदी फसलों की खेती कर रहें हैं। दो साल पहले मैंने गेंदे की खेती करने की शुरुआत की, ताकि मेरे पिताजी को सहारा मिल सके, और आर्थिकी बढ़ सके।
उद्यान अधिकारी गणेश बिजल्वाण बताते हैं कि गेंदा की फ्रेंच प्रजातियां कम उत्पादन देती हैं। इसके अंतर्गत गोल्डमजैम, बटर, बोलेरो, डस्टीलाल, रेडहेड फ्लेमिंगफायर, फ्लेम, आरेंजफ्लेम प्रमुख हैं। अधिक पैदावार देने वाली अफ्रीकन प्रजातियां है। ये हैप्पीनेस, गोल्डन एज, पूसा नारंगी गेंदा, पूसा बसंती गेंदा, गोल्डन कायन, स्टार गोल्ड, डयूस स्पन गोल्ड प्रमुख हैं।