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Thursday, April 25, 2024

यूरोपियन विश्वविद्यालय ने डॉ निशंक को मानद उपाधि से नवाजा, हार्वर्ड बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ ने किया सम्मानित।

देहरादून। उत्तराखंड के सम्मानित साहित्यकार व कवि, भारत के पूर्व शिक्षा मंत्री, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री तथा हरिद्वार के लोकसभा सांसद डा. रमेश पोखरियाल निशंक को, उनके ‘रचना संसार’ पर 80 वीं ‘पुस्तक वार्ता’ की सम्पन्नता के अवसर पर, ‘हार्वर्ड बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ की ओर से स सम्मानित किया गया। 16 एवम 17 अक्टूबर को स्वर्गाश्रम, ऋषिकेश में हिमालय विरासत ट्रस्ट तथा स्याही ब्लू बुक्स, नई दिल्ली तथा हिमालयीय विश्वविद्यालय, देहरादून द्वारा माँ गंगा के पावन तट पर आयोजित दो दिवसीय साहित्यिक सारस्वत महाकुम्भ’ में ‘हार्वर्ड बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ के सचिव आशीष जायसवाल ने डॉ निशंक क रिकॉर्ड का प्रमाण पत्र भेंट किया । रविवासरीय पुस्तक वार्ता श्रृंखला में प्रतिभाग व सहयोग करने व वार्ता सत्रों में‌ प्रतिभाग करने वाले साहित्यकारों, अनेक विश्वविद्यालयों के कुलपतियों विद्वानों तथा शिक्षाविदों ने इस कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। 500 से ज्यादा प्रतिभागियों की उपस्थिति मं दो दिवसीय कार्यक्रम में बाबा रामदेव, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी श्री चिदानन्द मुनि, प्रदेश के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल, पद्मश्री सम्मानित कवि एवं आर्थोपेडिक सर्जन डा. भूपेन्द्र कुमार सिंह ‘संजय’, पद्मश्री प्रीतम भरतवाण , कार्यक्रम के केन्द्र पुरुष डा. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ उपस्थित रहे । कार्यक्रम में बाबा रामदेव ने डॉ निशंक को अजेय योद्धा बताते हुए कहा कि उनका साहित्य गौरव मयी सनातन परम्पराओं क़े गौरवशाली कालखंड का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने डॉ निशंक द्वारा NEP
-2020 की प्रशंसा करते हुए उन्हें भारतीय शिक्षा बोर्ड गठित करने का श्रेय दिया। स्विट्ज़रलैंड महर्षि विश्ववियालय द्वारा डॉ निशंक को साहित्य और राजनीति का अद्भुत संगम बताते हुए उनके साहित्य द्वारा मूल्यनिर्माण के प्रयासों की भूरि -भूरि प्रशंसा की गयी। वेद विश्वशांति अभियान एवं अपने लेखन के माध्यम से विश्वशान्ति स्थापित करने के डॉ निशंक की प्रतिबद्धता की सराहना की गई।
इस समूचे कार्यक्रम को कुल चार सत्रों ‌में आयोजित किया गया था, जिसमें एक साथ ही तीन-तीन उप-सत्रों में डा. निशंक के साहित्यिक योगदान के साथ-साथ उनकी पुस्तकों पर वक्ताओं‌ ने विस्तार से प्रकाश डाला। लगभग साठ से भी अधिक शोधार्थियों ने डा. निशंक की रचनाओं पर अपने-अपने शोधपत्र पढ़े। ज्ञातव्य है कि डॉ निशंक के साहित्य पर देश और विदेश में अनेक विद्यार्थी शोधकार्य कर रहे हैं।‌कार्यक्रम की अध्यक्षता लंदन से पधारे बीबीसी से जुड़े प्रख्यात साहित्यकार तेजेन्दर शर्मा ने की।
उद्घाटन सत्र में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि स्वामी चिदानन्द ने कहा कि डॉ निशंक का साहित्य उनका कृतित्व पूरे विश्व की बड़ी धरोहर है।
रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ का साहित्य वस्तुतः पूरे हिमालय का दर्पण जैसा लगता है। उसमें —पर्वतीय अंचल का इतिहास-विकास, संपूर्ण प्रकृति परिदृश्य, जन-जीवन के संस्कार, पर्व-त्योहार, आचार-विचार, व्यवहार, खान-पान, पहनावा, रहन-सहन, परंपराएँ, रीति-रिवाज अर्थात् संपूर्ण आंचलिक वैशिष्ट्य प्रतिबिंबित हुआ है। सभी मानव संवेदनाओं को समेटे डॉ निशंक का साहित्य कथा-कृतियों में अंकित घटनाओं और पात्रों के माध्यम से हिमालयी संस्कृति संधी एक सकारात्मक संदेश दूर-दूर तक पहुँचाने में सक्षम है।
17 अक्टूबर की शाम को डॉ “निशंक” परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती साध्वी भगवती, विश्वविद्यालयों के कुलपति, संस्थानों के निदेशक ने प्रतिभाग किया। । ऋषिकेश में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘साहित्य कुंभ’ के समापन व सम्मान सत्र में उत्तराखंड सरकार में मंत्री श्री सुबोध उनियाल जी एवं पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने हिस्सा लिया ।
इस अवसर पर पद्मश्री डॉ बी. के. एस संजय जी, डॉ ऋषभ देव जी, डॉ सविता मोहन जी, वडिया के निदेशक डॉ काला चंद , साध्वी डा. भगवती सरस्वती जी वरिष्ठ साहित्यकार, विदेशों के अलावा देश के कोने-कोने से आए सभी कुलपति, निदेशक, प्रोफेसर, शोधकर्ता, जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।

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