चमोली। उत्तराखंड के सीमांत जिला चमोली की स्वास्थ्य व्यवस्था 21 वर्ष बाद भी चौपट नजर आ रही है। जिसके चलते आज भी कई ग्रामीण दुर्गम रास्तों और लचर स्वास्थ्य व्यवस्था के चलते अपनी जान गंवा चुके हैं। बीते 26 जुलाई का मामला सामने आया है। आप तस्वीरों में देख रहे होंगे गाँव के तीन लोग खराब रास्तों की वजह से एक बीमार महिला को लकड़ी से बनी कंडी में लादकर पैदल दुर्गम कच्चे रास्तों से अस्पताल पहुँचाने को विवश हैं।
चीन सीमा से लगे चमोली जिले में सरकार और स्वास्थ्य विभाग की बेरुखी के कारण लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उत्तराखंड राज्य 21 साल पूरे होने पर जोश के साथ जश्न मना रहा है जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही दिखलाती है। सीमांत जिलों के लोग आज भी सड़क और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा न होना एक बड़ी चुनौती है। इस बात को सीमांत जिलों के लोग भली- भाँति जानते है। यहाँ के लोग विषम परिस्थितियों में जीवन यापन कर रहे हैं। समय- समय पर सेकडों प्रकाश में आए हैं। गम्भीर रूप से बीमार लोग तो दुर्गम कच्चे रास्तों की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं। इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग नही जागा। गम्भीर बीमारी से ग्रसित महिला बिमला देवी को कुछ ग्रामीण और उनके परिवार वालों ने कठिन परिस्थितियों में डंडी-कंडी के सहारे लगभग सात किलोमीटर पैदल चलकर जिला अस्पताल गोपेश्वर तक पहुंचाया। जिसके बाद महिला का ईलाज हो पाया।
स्थानीय ग्रामीण बताते है कि निजमुला- बिरही मोटर मार्ग भारी बारिश के कारण कई जगह क्षतिग्रस्त होने के चलते ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दूसरी और पाणा, इराणी, झिंझी, भनाली, धार किमाला आदि गांवों का संपर्क भी भारी बारिश के कारण कट चुका है। जिसके कारण ग्रामीणों को मजबूरन अतिरिक्त पैदल दूरी तय करनी पड़ रही है। ग्राम प्रधान ईराणी मोहन सिंह नेगी ने बताया कि झिझी के समीप बना झूला पुल भी भारी बारिश के कारण टूट चुका है, जिससे ग्रामीणों को मजबूरन उफनते गदेरे को फांदकर आवाजाही करने को विवश होना पड़ रहा है। उन्होंने सरकार से सीमांत गांवों में सड़क, स्वास्थ्य व शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने की मांग की है, जिससे विषम परिस्थितियों में रहने वाले ग्रामीणों को किसी असुविधा का सामना न करना पड़े।