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Tuesday, March 18, 2025

रेलवे अधिकारियों ने गाड़ी का किराया नहीं दिया, इसके बाद चालक ने आत्महत्या कर ली

रेलवे कर्मचारियों ने गाड़ी का बकाया किराया नहीं दिया तो चालक ने आत्महत्या कर ली। पुलिस को सूचना मिलने पर शव को लेने पहुंची टीम को सुसाइड नोट मिल गया। मृतक के भाई ने मामले की जानकारी मिलने पर सहरानपुर से आकर रेलवे अधिकारियों सहित तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। पूरे मामले की जांच बहादराबाद और कनखल पुलिस कर रही है।

मृतक के भाई, सहारनपुर के थाना गागलहेड़ी क्षेत्र के गांव अमरपुर बेगमपुर निवासी मुल्कीराज ने दी तहरीर में कहा कि उसके भाई संदीप ने परिवार को भोजन देने के लिए अपनी पैतृक जमीन बेच दी और एक पिकअप गाड़ी को रेलवे में ठेके पर लगाया। उनका करार रेलवे से 40 हजार रुपये प्रति महीना था। रेलवे अधिकारी बीआर तायल और एक अन्य डोभाल ने संदीप से उसकी बोलेरो पिकअप गाड़ी का किराया तय किया था। गाड़ी का किराया बाकी डेढ़ लाख रुपये है।

रेलवे सिग्नल अधिकारी बीआर तायल व डोभाल से संदीप ने पैसे मांगे, लेकिन वे पहले देने से इनकार करने लगे। बाद में वह इन लोगों से परेशान हो गया। संदीप ने बकाया पैसा न देने और उसे परेशान करने पर सुसाइड नोट लिखकर आत्महत्या कर दी। रेलवे कर्मचारी बीआर तायल, डोभाल और प्रदीप इसके लिए जिम्मेदार हैं।

मृतक संदीप के भाई की तहरीर पर थाना बहादराबाद में आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। पुलिस मामला जांच कर रही है।

पति पत्नी में आर्थिक कठिनाई के कारण विवाद

मृतक भाई ने तहरीर में बताया कि संदीप की शादी 12 साल पहले कड़च्छ मोहल्ला, ज्वालापुर निवासी प्रियंका से हुई थी। उसके भाई और उसकी पत्नी का कुछ समय से विवाद चल रहा था। इसलिए भाई के ससुर जुगल किशोर जगजीतपुर कनखल में रहते हैं।

शादी के कुछ दिनों बाद, उसकी पत्नी ने उसके पति पर दबाव डाला कि उसे भी जगजीतपुर कनखल, हरिद्वार में रहना चाहिए। तब उसके पति ने जगजीतपुर कनखल में अपने बच्चों और पत्नी के साथ एक किराये के घर में रहने लगा।

आर्थिक संकट के कारण वे फिर से बहस करने लगे। महिला हेल्पलाइन को मामला पहुँचा। हेल्पलाइन पर दोनों ने पुलिस से समझौता कर लिया। लेकिन पत्नी फिर से नाराज हो गई और अपने मायके में रहने लगी।

अपनी पैतृक जमीन बेचकर घर और गाड़ी खरीदा

संदीप के ससुराल वाले बेरोजगार दामाद को पाकर खुश नहीं थे। संदीप ने भी अपने हिस्से की खेत की जमीन और गांव में अपने हिस्से का घर बेचने का अनुरोध किया। उसने अपने खेत और घर बेच दिए। उसने उस पैसे से नौकरी पाने का लक्ष्य पूरा किया और परम कॉलोनी जगजीतपुर में एक घर खरीद लिया। लेकिन रेलवे अधिकारियों ने उसके दर्द को नहीं देखा और न ही सहानुभूति दिखाई।

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