नदियों में लंबे समय से जमे हुए खनिज पदार्थ की समय-समय पर पर्याप्त निकासी न होना और अवैध खनन भी जल भराव का कारण हो सकता है। CM ने राज्य की प्रमुख नदियों का अध्ययन करने का आदेश दिया है।
अब राज्य सरकार बाढ़ और जलभराव से हुए भारी नुकसान को देखते हुए राज्य की प्रमुख नदियों का अध्ययन करेगी। इस संबंध में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सिंचाई विभाग को आदेश दिया है। दशकों से नदियों में भारी बोल्डर, सिल्ट और बजरी जमा होने से नदियों का तल ऊपर उठ गया है।
तल उठने से नदियों में बाढ़ का पानी घुस रहा है, जो आसपास के गांवों में प्रवेश कर रहा है। नदियों का ड्रैनेज प्लान बनाने के लिए अध्ययन भी विभाग को दिया गया है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, जलभराव वाले क्षेत्रों का दौरा करने के बाद मुख्यमंत्री ने कुछ दिन पहले उच्चाधिकारियों की बैठक बुलाई थी।
इस बैठक में वन, सिंचाई और औद्योगिक विकास (खनन) के अधिकारी भी उपस्थित थे। बैठक में नदियों में बाढ़ से जलभराव के कारणों का पता लगाया गया। बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि अवैध खनन और नदियों में लंबे समय से जमा खनन सामग्री की समय-समय पर पर्याप्त निकासी की कमी भी जल भराव का कारण हो सकती है। मुख्यमंत्री ने भी राज्य की प्रमुख नदियों का अध्ययन करने का आदेश दिया है।
हरिद्वार में 446 क्षेत्रों में जलभराव की समस्या गंभीर
बाढ़ से हरिद्वार नगर और जिले के ग्रामीण इलाकों में सबसे अधिक नुकसान हुआ गंगा और उसकी सहायक नदियों में। बाढ़ ने जिले के 398 ग्रामीण क्षेत्रों और हरिद्वार नगर के 48 क्षेत्रों को भर दिया। जलभराव वाले क्षेत्रों में सात लोग मारे गए और 370 भवनों को नुकसान पहुँचा। तीन भवन पूरी तरह से नष्ट हो गए। 189 करोड़ रुपये की सरकारी योजनाओं को नुकसान हुआ। 30 से 35 हेक्टेयर कृषि क्षेत्र प्रभावित हुए हैं। 175 सड़कों को भी नुकसान हुआ।
देहरादून, नैनीताल, अमेरिका में क्षति
हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल और ऊधमसिंहनगर में भी नदियों के किनारे जलभराव और भू-कटाव की समस्या है। ये जिले भी करोड़ों रुपये की निजी और सार्वजनिक संपत्ति खो चुके हैं।
नदी का तल विशेषज्ञ बताएंगे।
विशेषज्ञों की एक टीम अध्ययन करके बताएगी कि नदियों का तल कितना रखा जाए ताकि तटवर्ती आबादी बहुल इलाकों में बाढ़ और जलभराव की समस्या कम हो सके।
अध्ययन रिपोर्ट को भी कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा
सिंचाई विभाग नदियों का अध्ययन करेगा और उच्च न्यायालय को रिपोर्ट देगा। न्यायालय के स्तर पर विभिन्न याचिकाओं में नदियों में मशीनरी से अनियंत्रित खनन पर प्रतिबंध लगाया गया है।
मुख्यमंत्री की बैठक में नदियों का तल उठने से आबादी क्षेत्र में जलभराव और बाढ़ की समस्या पर चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने बैठक में विभाग को किसी सरकारी संस्था से नदियों का अध्ययन कराने का आदेश दिया ताकि वैज्ञानिक उपायों से बाढ़ के खतरे को कम किया जा सके। विभाग ने इस दिशा में कदम उठाया है। — हरिश्चंद्र सेमवाल, सिंचाई विभाग के सचिव