10 मई 2013 को हाईकोर्ट ने यात्रा मार्गों को स्वच्छ बनाने का आदेश दिया था। जो नहीं किया गया था। याचिकाकर्ता गौरी मौलेखी की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी ने डीएम रुद्रप्रयाग से एक सप्ताह का समय दिया है।
नैनीताल उच्च न्यायालय ने रुद्रप्रयाग के जिला मजिस्ट्रेट सौरभ गहरवार को केदारनाथ यात्रा ट्रैक पर स्वच्छता बनाए रखने के संबंध में न्यायालय के आदेश की अवहेलना पर अदालत की अवमानना का नोटिस भेजा। अदालत ने निर्णय दिया कि यह मामला सार्वजनिक महत्व का है। इस मामले में जरूरत पड़ने पर अदालत तंत्र की जांच और निरीक्षण के लिए किसी आयुक्त को नियुक्त करने पर विचार कर सकती है।
याचिकाकर्ता गौरी मौलखी ने बताया कि 2013 में जिला मजिस्ट्रेट ने केदारनाथ यात्रा का प्रबंधन जिला पंचायत से ले लिया था, क्योंकि जिला पंचायत घोड़ों के रखरखाव और खच्चरों के कारण स्वच्छता संबंधी समस्याओं का ठीक से समाधान नहीं कर पा रहा था। ट्रैक पर ही 14 हजार घोड़े, खच्चरों का गोबर, मूत्र और पशुओं के शव छोड़ दिए जाते हैं।
एक सप्ताह के भीतर जवाब मांगा जाता है, इससे देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस मामले में 10 मई 2013 को हाईकोर्ट ने यात्रा मार्ग की शुद्धता का आदेश दिया। जो नहीं किया गया था। इस मामले में गौरी मौलेखी की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी ने डीएम रुद्रप्रयाग से एक सप्ताह के भीतर उत्तर देने की मांग की है।
न्यायालय ने कहा कि 10 मई 2013 के आदेश को पूरा करने के लिए क्या कार्रवाई की गई, यात्रा मार्ग के साथ-साथ केदारनाथ शहर में भी साफ-सफाई की नियमित जांच के लिए क्या प्रणाली स्थापित की गई हैं, क्या सफाई शारीरिक रूप से की गई है या यांत्रिक उपकरणों का उपयोग किया गया है, इन पर आने वाले खर्चों को कौन वहन कर रहा है, वर्तमान यात्रा सीजन में यात्रा मार्ग के साथ-साथ केदारनाथ शहर की सफाई में कितनी राशि खर्च की गई