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Friday, November 22, 2024

Uttarakhand: हाईकोर्ट का आदेश अतिक्रमण राजमार्गों और सड़कों के किनारे से हटाएं; चार सप्ताह में रिपोर्ट मांगी

प्रभात गांधी ने नैनीताल जिले के पदमपुरी और खुटानी में सड़क किनारे सरकारी जमीन पर अतिक्रमण को लेकर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा था। हाईकोर्ट ने इस पत्र को जनहित याचिका के रूप में स्वतः संज्ञान लिया।

पूरे राज्य में हाईकोर्ट ने राजमार्गों और सड़कों के किनारों से सरकारी और वन क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया है। क्रियान्वयन रिपोर्ट को चार सप्ताह के भीतर सभी डीएम और डीएफओ को कोर्ट में पेश करने के लिए कहा गया है।

मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में हुई। प्रभात गांधी ने नैनीताल जिले के पदमपुरी और खुटानी में सड़क किनारे सरकारी जमीन पर अतिक्रमण को लेकर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा था। हाईकोर्ट ने इस पत्र को जनहित याचिका के रूप में स्वतः संज्ञान लिया।

पत्र में बताया गया था कि पदमपुरी और खुटानी में राजमार्ग के किनारे सरकारी और वन भूमि पर अतिक्रमण करके दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बनाए गए हैं। मंदिर भी बनाए गए हैं। कोर्ट ने नैनीताल की डीएम वंदना सहित सभी डीएम और डीएफओ को जांच और अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने चार सप्ताह में अनुपालन रि

पोर्ट देने को कहा। पांच सितंबर को कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई होगी।
हाईकोर्ट ने IDPL ऋषिकेश के पूर्व कर्मचारियों के घरों को ध्वस्त करने का आदेश रद्द किया
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के आईडीपीएल ऋषिकेश के पूर्व कर्मचारियों के आवासों को तोड़ने के आदेश पर रोक लगा दी है।

अदालत ने सरकार को चार सप्ताह के भीतर उत्तर देने को कहा है। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ में हुई। गुलशन भनोट और आईडीपीएल के कुछ पूर्व कर्मचारियों ने 19 जुलाई 2023 को राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश को चुनौती दी, जो आईडीपीएल कर्मचारियों के घरों को ध्वस्त करने का आदेश देता था।

याचिका में कहा गया कि IDPL उन्हें घर देता था। कंपनी अभी भी कई कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना भुगतान देती है। याचिका में कहा गया कि जमीन पर आईडीपीएल का पट्टा समाप्त हो गया है, लेकिन बुलडोजर का उपयोग करके कंपनी के कर्मचारियों को बलपूर्वक बाहर निकाला जा सकता है। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि राज्य सरकार या वन विभाग, जिन्होंने ध्वस्तीकरण का आदेश पारित किया था, कानून की सही प्रक्रिया नहीं अपनाई है। कोर्ट ने ध्वस्तीकरण के आदेश पर रोक लगाते हुए सरकार को प्रतिक्रिया देने का आदेश दिया है।

 

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