मकानों पर पड़ी दरारों को भी जलस्रोतों ने देखा और सैंपल एकत्र किए।
ग्रामीणों ने लंबे समय से उत्तरकाशी गांव के सर्वे की मांग की है। भारतीय भूविज्ञान सर्वेक्षण के भू-वैज्ञानिकों ने मस्ताड़ी गांव का सर्वे किया, जो भूधंसाव से प्रभावित हुआ था। टीम ने गांव के हर जल स्रोत का भी सैंपल लिया। इस दौरान, टीम ने घरों में पड़ी दरारों का भी निरीक्षण किया।
बृहस्पतिवार को वंदना खंपा और भारतीय भू-विज्ञान सर्वेक्षण के सहायक भू-वैज्ञानिक जीडी प्रसाद गांव पहुंचे। जहां उन्होंने मस्ताड़ी गांव में हो रहे भू-धंसाव का सर्वेक्षण किया, साथ ही आवासीय भवनों पर पड़ी दरारों और गांव के ऊपर स्थित बोल्डरों को भी देखा। ग्राम प्रधान सत्यनारायण सेमवाल ने बताया कि 1991 के भूकंप से यह समस्या शुरू हुई थी। 1997-98 में गांव में भू-धंसाव हुआ और कुछ घरों में दरारें पड़ी, लेकिन 2021 में हालात खराब हो गए। जब धक्का गहरा होने लगा साथ ही, ग्रामीणों के घरों के अंदर जमीन से पानी निकलने लगा।
भारतीय भूविज्ञान सर्वेक्षण के भू-वैज्ञानिकों ने गांव के हर हिस्से का सर्वेक्षण किया है, जिला सहायक भू-वैज्ञानिक जीडी प्रसाद ने बताया। गांव के हर जल स्रोत से एक सैंपल लिया गया है, जो जांच के लिए भेजा जा रहा है।