17 C
Dehradun
Monday, November 11, 2024

कांग्रेस पर कार्रवाई कब शुरू होगी?

हरिशंकर व्यास
भारतीय जनता पार्टी के लिए दुश्मन नंबर एक कांग्रेस पार्टी है। भाजपा के शीर्ष नेताओं को हमेशा इस बात की चिंता सताती रहती है कि कब कांग्रेस के हालात सुधरने लगेंगे और तब उसकी वापसी शुरू हो जाएगी। इसके बावजूद यह हैरान करने वाली बात है कि कांग्रेस के किसी भी नेता के ऊपर कोई सख्त कार्रवाई नहीं हो रही है। भाजपा और केंद्रीय एजेंसियों की अभी तक की कार्रवाई किड्स ग्लब्स से हमला करने वाली रही है। कांग्रेस के नेता इस बात पर छाती पीटते हैं कि राहुल गांधी की सदस्यता खत्म करा दी। लेकिन वह कोई कार्रवाई नहीं थी। तीन-चार महीने में फिर उनकी सदस्यता बहाल कर दी गई। कार्रवाई उसको कहते हैं, जो मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और संजय सिंह के खिलाफ हुई या उत्तर प्रदेश में आजम खान के परिवार के खिलाफ हो रही है।

सोनिया व राहुल से ईडी ने नेशनल हेराल्ड मामले में पूछताछ जरूर की लेकिन उसमें आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके अलावा सोनिया गांधी के परिवार के किसी सदस्य पर या कांग्रेस के किसी बड़े नेता पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। पी चिदंबरम का परिवार अपवाद है क्योंकि उनके साथ भाजपा के बड़े नेताओं की निजी खुन्नस थी। कर्नाटक में डीके शिवकुमार के खिलाफ कार्रवाई कर्नाटक चुनाव के लिहाज से थी और उसमें भी वे तीन महीने में जमानत लेकर निकल गए थे, जबकि वैसे ही मामले में मनीष सिसोदिया को आठ महीने बाद भी जमानत नहीं मिली है। कांग्रेस के कुछ अन्य नेताओं और परिजनों पर छापे वगैरह पड़े हैं लेकिन गिरफ्तारी किसी की नहीं हुई है।

अगर सरकार चाहती तो सोनिया व राहुल गांधी से लेकर प्रियंका गांधी वाड्रा और रॉबर्ट वाड्रा तक सब जेल में होते। लेकिन किसी के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। कहने को कांग्रेस के नेता कहते हैं कि कोई सबूत होता या गांधी परिवार ने कोई गड़बड़ी की होती तो अब तक उनको कब का जेल में डाल दिया गया होता। लेकिन यह कहने की बात है। जेल में डालने के लिए किसी सबूत की जरुरत नहीं होती है। मनीष सिसोदिया के बारे में भी आम आदमी पार्टी यही कह रही है कि कोई सबूत नहीं है। खुद सुप्रीम कोर्ट ने एजेंसियों से कहा कि सबूत ले आइए नहीं तो आपका केस अदालत में दो मिनट में गिर जाएगा। इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया को  जमानत नहीं दी और यह सुनिश्चित कर दिया कि कम से कम तीन महीने और वे जेल में रहें। तीन महीने के बाद ही उनकी जमानत याचिका फिर कोर्ट के सामने आ सकती है। सो, भारत की कानूनी व्यवस्था में किसी को गिरफ्तार करके जेल में डालने के लिए सबूत की जरूरत नहीं होती है। ईडी के मामले में तो एजेंसी को सबूत जुटा कर कसूरवार ठहराने से पहले आरोपी को सबूत पेश करके अपने को बेकसूर साबित करना होता है। इसलिए यह मिथक है कि सबूत की कमी के कारण गांधी परिवार पर कार्रवाई नहीं हुई है।

तभी सवाल है कि किस कारण से गांधी परिवार या कांग्रेस के अन्य नेताओं पर बड़ी कार्रवाई नहीं हो रही है? और दूसरा सवाल यह है कि क्या आगे किसी समय कार्रवाई हो सकती है? यह हो सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह वह गलती नहीं दोहराना चाहते हों, जो जनता पार्टी की सरकार के समय हुई थी। जनता पार्टी की सरकार ने इंदिरा गांधी को गिरफ्तार करके जेल में डाला था और संजय गांधी के ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटकाई थी, जिसकी वजह से लोगों की सहानुभूति कांग्रेस के साथ हो गई और फिर कांग्रेस बड़ी ताकत बन कर सत्ता में लौटी। हालांकि अब देश के हालात वैसे नहीं हैं और कांग्रेस भी वैसी स्थिति में नहीं है। फिर भी संभव है कि पार्टी के शीर्ष नेताओं ने जोखिम लेना ठीक नहीं समझा हो। एक कारण यह भी संभव है कि बिना कार्रवाई किए पूरे परिवार और पार्टी को भ्रष्ट साबित करना, परिवारवादी ठहराना और आजादी के बाद हुई तमाम गड़बडिय़ों और कमियों के लिए कांग्रेस पर ठीकरा फोडऩे से राजनीतिक लाभ ज्यादा मिलता हो। एक अन्य कारण यह भी संभव है कि मुख्य विपक्षी पार्टी के सबसे बड़े नेताओं पर कार्रवाई से संभव अंतरराष्ट्रीय आलोचना या दबाव से बचने के लिए कार्रवाई न की गई हो।

अगला सवाल है कि क्या सरकार निकट भविष्य में कभी गांधी परिवार या कांग्रेस के कुछ और बड़े नेताओं के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है? इसकी संभावना कम दिख रही है। सोनिया गांधी की उम्र और सेहत को देखते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई संभव नहीं है। रही बात राहुल गांधी की तो भारत जोड़ो यात्रा से उनका कद बढ़ा है। उनकी पप्पू वाली इमेज खत्म हुई है। वे नरेंद्र मोदी के मुख्य प्रतिद्वंद्वी के तौर पर स्थापित हुए हैं। इसलिए चुनाव से पहले अगर उनकी गिरफ्तारी होती है तो वह दांव उलटा पड़ सकता है। अपने आप यह मैसेज बनेगा कि चुनावी लड़ाई में कमजोर पड़े तो मोदी ने अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी को जेल भेज दिया। सो, ले-देकर कमजोर कड़ी रॉबर्ट वाड्रा बचते हैं। लेकिन यह भी चर्चा है कि अगर उन पर कार्रवाई होती है तो कुछ ऐसे कारोबारी लपेटे में आएंगे, जिनको भाजपा का करीबी माना जाता है। सो, यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस को लेकर केंद्र सरकार और एजेंसियों की आगे की रणनीति क्या रहती है?

माना जा रहा है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद इसमें स्पष्टता आएगी। ध्यान रहे कांग्रेस राज्यों का चुनाव क्षत्रपों के दम पर लड़ रही है। अगर क्षत्रपों की वजह से कांग्रेस जीतती है तो अगले लोकसभा चुनाव से पहले बड़ी कार्रवाई हो सकती है। सबके खिलाफ मामला पहले से बना हुआ है इसलिए कभी भी कार्रवाई हो सकती है। कर्नाटक से लेकर मध्य प्रदेश और राजस्थान से लेकर महाराष्ट्र तक कांग्रेस के प्रादेशिक क्षत्रप निशाने पर हैं। कांग्रेस के प्रादेशिक क्षत्रपों के साथ साथ कुछ राज्यों की प्रादेशिक पार्टियों के नेताओं पर भी कार्रवाई संभव है। खास कर ऐसे राज्यों में, जहां गठबंधन मजबूत है और भाजपा को नुकसान संभव है। ऐसे राज्यों में बिहार, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और महाराष्ट्र शामिल हैं।

Related Articles

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles