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Thursday, November 21, 2024

सदन में प्राधिकरण के मुद्दे पर हंगामा, कांग्रेसियों ने फाड़ी बजट की कॉपी

देहरादून। विधानसभा में बजट सत्र के तीसरे दिन गुरुवार को भोजन अवकाश के बाद सदन काफी हंगामेदार रहा। जिला विकास प्राधिकरण के मुद्दे पर सरकार की तरफ से संतुष्टि भरा जवाब न मिलने पर विपक्ष के विधायक वेल में उतर आए और बजट की कॉपी फाड़ दी। विपक्ष के विधायकों ने सुरक्षाकर्मियों द्वारा जबरदस्ती किए जाने का भी आरोप लगाया। विधानसभा सत्र की तीसरे दिन की कार्यवाही भोजन अवकाश के बाद काफी हंगामेदार रही। जिला विकास प्राधिकरणों में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर लेकर नियम 58 के तहत चल रही चर्चा के दौरान जब संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की तरफ से संतोषजनक उत्तर नहीं मिला तो विपक्ष के सभी विधायक वेल में उतर आए और जमकर हंगामा हुआ। जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण खत्म करने को लेकर विपक्ष का अड़ा रहा। हंगामे के बीच सदन शुक्रवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। कांग्रेस का कहना था कि सरकार ने जो जिला विकास प्राधिकरण बनाए थे, वह भ्रष्टाचार का अड्डा बन गए हैं। कांग्रेसी विधायकों ने सदन में पूर्व में चंदन रामदास की अध्यक्षता में गठित हुई कमेटी की रिपोर्ट की मांग की। इसके जवाब में संसदीय कार्य एवं शहरी विकास मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने विपक्ष ने कहा कि, जो पैसा प्राधिकरण कमाते हैं, वो पैसा उस क्षेत्र में अवस्थापना से जुड़े कामों में लगता है। साल 2016 के बाद जो क्षेत्र जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण में शामिल हुए थे, वहां नक्शा पास कराने की अनिवार्यता नहीं है। इसके बाद मंत्रिमंडलीय उप समिति की रिपोर्ट के आधार पर तमाम राहत दी गई हैं। हालांकि, मंत्री के जवाब के बीच भी कांग्रेस का हंगामा जारी रहा, जिसके चलते सदन की कार्यवाही कुछ देर रोकनी भी पड़ी। इसी बीच विधायक अनुपमा रावत और सुमित हृदयेश की मार्शलों से धक्का-मुक्की भी हुई। इस हंगामे के दौरान विपक्ष के विधायकों ने सदन में बजट की कॉपियां भी फाड़ी। ऐसी ही स्थिति में हंगामे के बीच बजट पर चर्चा की गई और हंगामा के बीच हुई विभागवार चर्चा हुई। सदन स्थगित होने के बाद कांग्रेस की महिला विधायक अनुपमा रावत ने सदन से बाहर आकर अपने हाथों पर पड़े निशानों को दिखाते हुए कहा कि उनके साथ सदन के भीतर सुरक्षाकर्मियों द्वारा जबरदस्ती की गई है। अनुपमा ने कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र हरिद्वार ग्रामीण में प्राधिकरण के कार्यालयों में लोगों को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं, लेकिन सरकार कुछ भी सुनने के लिए राजी नहीं है।

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