ईपीएफओ की समीक्षा बैठक ने बताया कि अन्य मामलों की तुलना में मृत्यु मामलों का निपटारा कम हो रहा है। ऐसे में, क्षेत्रीय ईपीएफओ कार्यालय में पीआरओ को इन सभी मामलों का समाधान करने का काम सौंप दिया गया है।
उत्तराखंड में, कंपनियों ने मृतकों के आश्रितों को पीएफ और पेंशन नहीं दिए हैं। यह खुलासा समीक्षा बैठक में हुआ है, जिसके बाद कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) सक्रिय हो गया है। मृतक कर्मचारियों के आश्रितों को पीएफ और पेंशन का एकमुश्त भुगतान दिलाने के लिए, पिछले 10 वर्षों में मृतक कर्मचारियों की सूची 450 नियोक्ताओं से मांगी गई है।
इनमें उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड (उपनल), गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन), टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड, स्वामी हिमालयन इंस्टीट्यूट, डोईवाला शुगर मिल, पैनासोनिक और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड शामिल हैं। ईपीएफओ की हाल ही में हुई समीक्षा बैठक में बताया गया कि अन्य मामलों की तुलना में मृत्यु मामलों का निपटारा कम हो रहा है।
ऐसे में, क्षेत्रीय ईपीएफओ कार्यालय में पीआरओ को इन सभी मामलों का समाधान करने का काम सौंप दिया गया है। कर्मचारी के आश्रित कंपनी के अलावा सीधे कार्यालय को सूचित कर सकते हैं। ईपीएफओ को डाटा मिलने के बाद मामले तीन महीने के भीतर हल किए जाएंगे। प्रदेश में मरने वाले हजारों लोगों के आश्रितों को इससे धन मिलेगा जिनके डेथ क्लेम का भुगतान नहीं हो पाया है।
“निधि आपके निकट” अभियान में डेथ क्लेम पर जोर
ईपीएफओ द्वारा हर महीने आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रम “निधि आपके निकट” में इस बार डेथ क्लेम का मुख्य मुद्दा होगा। 28 अगस्त को कार्यक्रम देहरादून के श्रीमहंत इंदिरेश अस्पताल, टिहरी गढ़वाल में पनांबी तपोवन रिजॉर्ट, चमोली में नगर निगम कार्यालय नंदप्रयाग और हरिद्वार के सिडकुल में होंगे।
क्लेम का निपटारा पांच दिन में करना होगा।
ईपीएफओ को डेथ क्लेम दावा पत्र मिलने के पांच दिन के भीतर इसका निपटारा करना होगा। 1952 अधिनियम के पैरा 72 (5) (सी) के तहत कर्मचारी भविष्य निधि योजना खत्म हो जाएगी।
डेथ क्लेम के निपटारे के लिए चार सौ पाँच सौ कंपनियों को ईमेल भेजकर विवरण मांगा गया है। डाटा मिलने के बाद किसी कर्मचारी के निधन के बाद डेथ क्लेम नहीं मिल पाया है, इसकी जांच की जाएगी। EAPFO उनका दावा करेगा। संबंधित व्यक्ति कार्यालय में सीधे संपर्क कर सकता है। हमारा लक्ष्य गरीबों को उनके हक का धन देना है।