देहरादून। सेलाकुई फार्मा क्षेत्र के समीप बह रही स्वारना नदी में दवाइयों के बिलिस्टर व दवाई बनाने वाले रसायनों पैकेट भारी संख्या में फेंक दिए गए हैं। दवा सामग्री क्षेत्र में मौजूद रहने वाले पशु पक्षियों के जीवन के लिए खतरा बन सकते हैं। उधर मामला प्रकाश में आने पर प्रशासन ने जांच की बात कही है।
अत्यधिक मात्रा में नदी में बोरो में भरकर डाले गए कैप्सूल, टैबलेट, इंजेक्शन पैकेट में भरा रॉ मटेरियल क्षेत्र में स्थापित दवा कंपनियों से निकाला गया कचरा प्रतीत हो रहा है। दवाइयों के रैपर पर निर्माण के स्थान पर कंपनियों का पता भी सेलाकुई और आसपास के क्षेत्र का दर्ज है।
स्थानीय व्यक्ति भगत सिंह राठौर, नरगिस कश्यप, सुरेंद्र कुमार का कहना है कि नदी में फेंकी गई दवाएं सेलाकुई व आसपास के क्षेत्रों में स्थापित औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले कचरे व एक्सपायर हो चुकी दवाइयों को नदी में फेंक दिया जाता है जो एक गंभीर समस्या है। इससे नदी में प्रदूषण तो फैल ही रहा है। साथ ही जीव-जतुओं के लिए भी इस प्रकार की स्थिति खतरनाक है। र
नगर पंचायत के ईओ भगवंत सिंह बिष्ट ने बताया कि इस प्रकार की गतिविधि को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस संबंध में पहले भी नगर पंचायत ने कई उद्योगों को नोटिस जारी किए गए हैं। पकड़े जाने पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाये जाने की व्यवस्था है।
वहीं ड्रग इंस्पेक्टर नीरज कुमार ने बताया कि नदी में निर्माता कंपनियों के माध्यम से एक्सपायर दवाई फेंकी जा रही है। इस संबंध में 17 मई को फार्मा उद्योगों के साथ एक बैठक रखी गई है, जिसमें ड्रग कंट्रोलर भी मौजूद रहेंगे।