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Wednesday, December 4, 2024

चकराता वन प्रभाग की कनासर रेंज में हजारों देवदार के पेड़ काट दिए जाएंगे, अधिकारी

विभागीय कर्मचारियों के सरपरस्ती में अवैध कटान हुआ है। नाप खेत में वृक्षों के पातन की अनुमति की आड़ में आरक्षित वनों से हरे पेड़ों का अंधाधुंध कटान करना संगठित अपराध था। पूरे प्रकरण में कुछ लोगों ने एक गिरोह की तरह काम करते हुए नाम खेत की जमीन पर खड़े पड़ों की आड़ में यह काला काम किया है।

वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए यह कहावत बहुत उपयुक्त है: जब बाड़ ही खेत को खाने लग जाए तो बेचारा खेत क्या करे? प्राथमिक जांच रिपोर्ट में, चकराता वन प्रभाग की कनासर रेंज में काटे गए हजार से अधिक देवदार के पेड़ों के मामले में कुछ ऐसी ही बातें सामने आ रही हैं।

एसओजी को प्रकरण की विस्तृत जांच करने के लिए बनाया जा सकता है। प्राथमिक जांच रिपोर्ट वन मुख्यालय को प्रभागीय वनाधिकारी चकराता कल्याणी ने दी है। वन विभाग की परीक्षण के बाद पहले दिन कुछ कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है। प्रमुख वन संरक्षक, गढ़वाल चीफ और डीएफओ इन कर्मचारियों को नियुक्त करते हैं। इसके बाद पूरा मामला शासन को भेजा जाएगा।

इस मामले में डीएफओ पर भी कार्रवाई हो सकती है। उन्हें पता नहीं था कि उनके क्षेत्र में इतने बड़े पेड़ काटे गए। हालाँकि, शिकायत के बाद उनकी त्वरित कार्रवाई की भी प्रशंसा होती है। लेकिन पूरे मामले में उन पर लापरवाही का आरोप लगता है।
हरे पेड़ों की अनवरत कटाई

जांच रिपोर्ट गोपनीय नहीं है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, इस मामले में विभागीय कर्मचारियों ने पूरी तरह से अवैध कटान किया है। नाप खेत में वृक्षों के पातन की अनुमति की आड़ में आरक्षित वनों से हरे पेड़ों का अंधाधुंध कटान करना संगठित अपराध था। पूरे प्रकरण में कुछ लोगों ने एक गिरोह की तरह काम करते हुए नाम खेत की जमीन पर खड़े पड़ों की आड़ में यह काला काम किया है।

प्राप्त सूत्रों के अनुसार, स्थानीय लोगों ने इस मामले को छिपाने के लिए लोटा-नमक रीति तक अपनाई गई, ताकि संबंधित क्षेत्र का कोई भी व्यक्ति इस बारे में बोलने से बच जाए। वृक्षों के कटान में अत्याधुनिक हथियारों का प्रयोग किया, जैसे पावर चैन। काटी गई लकड़ियों को निकालने के लिए रवन्नों का उपयोग किया गया। लाइसेंसी आरा मशीन का अवैध चिरान भी किया गया था।

हिमाचल प्रदेश में बेचा गया अधिक माल

जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि अवैध रूप से काट गई लकड़ी चोरी-छिपे हरिद्वार, रामनगर और बॉर्डर पार हिमाचल प्रदेश में बेची गई थी, सूत्रों ने बताया। ट्रकों में अवैध प्रकाष्ठ का माल भरकर जम्मू, पठानकोट तक भेजने की सूचना मिली है।

SOG बनाने का निर्णय शासन ले सकता है

अब शासन स्तर पर एसओजी की स्थापना करके इस पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच करने का निर्णय लिया जा सकता है। वन विभाग की कार्रवाई की अपनी सीमा है, जबकि इस मामले में समाज के बड़े ठेकेदार शामिल हैं। ऐसे व्यक्ति भी पहचाने गए हैं, सूत्र बताते हैं। अब इन्हें गिरफ्तार कर जेल में डालना बहुत कठिन है। इसके अलावा, ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट कर उनकी पहचान सार्वजनिक की जाएगी। इस मामले में अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों को सजा मिलनी तय है।

वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी रडार पर हैं।

चकराता वन विभाग की कनासर रेंज के जंगलों और आसपास के गांवों मशक, रजाणू और बिनसौन से चार हजार से अधिक देवदार और कैल लकड़ी के स्लीपरों ने वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की स्थिति को चिंताजनक बना दिया है। लकड़ी की बड़ी मात्रा से पता चलता है कि क्षेत्र में एक संगठित वन-तस्कर गिरोह लंबे समय तक संरक्षित वन क्षेत्र से लकड़ी की चोरी करता रहा और वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी इस बात से अनजान रहे। प्राप्त सूत्रों के अनुसार, स्लीपर की बरामदगी के बाद वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी जांच में हैं।

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