22.2 C
Dehradun
Friday, November 22, 2024

Chandrayaan-3: ISRO ने चंद्रयान-3 से ली गई चंद्रमा की तस्वीरें का वीडियो जारी किया; चांद को और अधिक करीब लाने का मिशन

शुक्रवार, यानी चार जुलाई को, चंद्रयान-3 ने चांद की ओर तेजी से बढ़ते हुए धरती से लगभग दो-तिहाई से अधिक दूरी तय की थी। पांच अगस्त को, एक दिन बाद, इसने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया।

रविवार को, इसरो ने चंद्रयान-3 के चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करने के एक दिन बाद एक वीडियो जारी किया। इस वीडियो में चंद्रमा की तस्वीरें ‘चंद्रयान-3’ से ली गईं हैं। अंतरिक्ष एजेंसी ने एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें बताया गया है कि ‘चंद्रयान -3’ मिशन, जो पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित किया जा रहा था, उसने चंद्रमा पर एक दृश्य देखा।

वीडियो तस्वीरों में चंद्रमा को नीले हरे रंगों में चित्रित किया गया है। चांद पर भी कई गड्ढे दिखाई देते हैं। रविवार देर रात होने वाले दूसरे बड़े चाल से कुछ घंटे पहले वीडियो जारी किया गया था। रविवार को भारतीय समयानुसार लगभग 11 बजे चंद्रयान-3 की कक्षा को घटाया गया।

अंतरिक्षयान एक योजनाबद्ध कक्षा कटौती प्रक्रिया से सफलतापूर्वक गुजरा। इंजनों की रेट्रोफायरिंग ने इसे चंद्रमा की सतह के और करीब लाया है। फिलहाल, चांद की सतह से चंद्रयान 170 किमी x 4313 किमी दूर है।

स्थापित पिछले दिन चंद्र कक्षा में हुआ

इससे पहले, शुक्रवार, चार जुलाई को चंद्रयान-3 ने धरती से चांद के बीच लगभग दो-तिहाई से अधिक दूरी तय की थी। इसने पांच अगस्त को एक दिन बाद चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया। 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से चंद्रयान-3 का उद्घाटन हुआ।

मिशन धीरे-धीरे चांद के करीब आ जाएगा

नौ अगस्त को दोपहर दो बजे के आसपास चंद्रयान-3 को चंद्रमा की तीसरी कक्षा में भेजा जाएगा। 14 अगस्त और 16 अगस्त को इसे चौथी और पांचवीं कक्षा में पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा।

कैसे चल रहा है चंद्रयान-3 का प्रवास?

15 जुलाई को चंद्रयान-3 ने पृथ्वी की पहली कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश किया था। 17 जुलाई और 18 जुलाई को, चंद्रयान ने सफलतापूर्वक पृथ्वी की दूसरी और तीसरी कक्षा में प्रवेश किया। 20 जुलाई को चंद्रयान ने सफलतापूर्वक पृथ्वी की चौथी और 25 जुलाई को पृथ्वी की पांचवीं कक्षा में प्रवेश किया था। अगस्त में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने भारत का बहुप्रतीक्षित अभियान, चंद्रयान-3, सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा से निकालकर चांद की कक्षा की ओर रवाना किया। चंद्रयान ने पांच अगस्त को सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था।

लॉन्च कब हुआ?

14 जुलाई को दोपहर 2:35 बजे श्रीहरिकोटा केंद्र से मिशन ने उड़ान भरी, और अगर सब कुछ ठीक होता है तो यह 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा पर उतरेगा। मिशन चंद्रमा के डार्क साइड ऑफ मून तक जा रहा है। इसका कारण यह है कि यह भाग पृथ्वी के सामने नहीं आता।

चंद्रयान-3 की यात्रा की खासियत क्या है?

फिलहाल, एक बहुत विशिष्ट मिशन, मिशन चंद्रमा, अपनी यात्रा पर है। चंद्रयान-3 को पहले इसरो का एलवीएम3 (बाहुबली) रॉकेट भेजा गया था। दरअसल, बूस्टर, या बलशाली रॉकेट यान, पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर उड़ते हैं। यदि आप सीधे चांद पर जाना चाहते हैं, तो आपको बड़े और मजबूत रॉकेट की आवश्यकता होगी।

ईंधन की अधिक मांग से प्रोजेक्ट का बजट प्रभावित होता है। यानी हम अधिक धन खर्च करेंगे अगर हम सीधे पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी निर्धारित करेंगे। नासा भी ऐसा करता है, लेकिन इसरो का चंद्र मिशन सस्ता है क्योंकि वह चंद्रयान को सीधे चंद्रमा पर नहीं भेजता।

हम सभी मिशनों को दो से चार दिन में पूरा करने में इतना समय क्यों लगता है?
चंद्रयान को एक निश्चित दूरी पार करने के बाद आगे की यात्रा अकेले ही करनी होती है। चीन हो या रूस, हर मिशन दो से चार दिन में पूरा हो गया।

जंबो रॉकेट सभी ने इस्तेमाल किया। चीन और अमेरिका 1000 करोड़ से अधिक खर्च करते हैं, लेकिन इसरो का रॉकेट 500 से 600 करोड़ रुपये में बनाया जाता है। दरअसल, इसरो के पास कोई मजबूत रॉकेट नहीं है जो यान को सीधे चंद्रमा की कक्षा में ले जा सके। चंद्रमा से पृथ्वी की दूरी सिर्फ चार दिन की है।

Related Articles

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles