देहरादून। आगामी यात्रा सीजन में यात्रा के पहले धाम यमुनोत्री के लिए 5500 यात्रियों की संख्या निर्धारित की गई है तो हैं तो वहीं अखिरी धाम बदरी नाथ के लिए 18 हजार प्रतिदिन निर्धारित की गई है जिस पर तीर्थ पुरोहितों का कहना है की पर्यटन विभाग का यह फैसला समझ से परे हैं। तीर्थ पुरोहितों ने आरोप लगाया है कि धामों में यात्रियों को संख्या निर्धारित करने का यह फैसला बिना परंपराओं को जाने और ग्राउंड रियलिटी को नजरंदाज करते हुए हवा में लिया गया है।
उत्तराखंड पर्यटन विभाग द्वारा इस यात्रा सीजन के लिए उत्तराखंड में चारों धामों के लिए हर दिन के लिए यात्रियों की सीमित संख्या का निर्धारण कर दिया है। पर्यटन विभाग ने बदरीनाथ धाम के लिए प्रति दिन 18 हजार, केदारनाथ धाम के लिए 15 हजार प्रतिदिन, गंगोत्री धाम के लिए 9 हजार यात्री प्रतिदिन और गंगोत्री धाम के लिए साढ़े 5 हजार यात्री प्रतिदिन निर्धारित कर दिए हैं। धामों की भव्यता और व्यवस्था के हिसाब से भले ही यह फैसला सही लगे लेकिन परंपराओं की बात की जाए तो चार धाम यात्रा का अपना एक धार्मिक महत्व है और एक पौराणिक धार्मिक मान्यताओं के आधार पर विधि भी है। चारों धामों के तीर्थ पुरोहित बताते हैं कि सनातन धर्म में इन चारों धामों की अपनी अपनी महत्ता है और इनके दर्शन करने की विधि भी।
गंगोत्री धाम में पुरोहित सुरेश सेमवाल का कहना है की हिंदू धर्म में उत्तराखंड के इन चारों धामों के दर्शन की एक विधि है उसके अनुसार हरिद्वार की हर की पैड़ी से यात्रा की शुरुवात होती है और सबसे पहले यमुनोत्री धाम की यात्रा का प्रावधान है। इसके बाद गंगोत्री और फिर केदारनाथ और आखिर में मोक्ष के लिए बदरीनाथ धाम की यात्रा हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार की जाती है। तो वहीं पर्यटन विभाग द्वारा इन चारों धामों यात्रियों की संख्या निर्धारण का फैसला समझ से परे है। तीर्थ पुरोहितों ने सवाल उठाया है कि जब पहले ही धाम में यात्रियों की संख्या कम कर दी जाएगी तो बाद के धामों में कैसे यात्रियों की संख्या बढ़ जाएगी पर्यटन विभाग के अधिकारियों के दिमाग में नहीं आया या फिर ये फैसले हवा में अपनी मन मर्जी से कर दिए गए हैं। गंगोत्री के पुरोहित सेमवाल परिवार का कहना है की उत्तरकाशी शहर में 25 से 30 हजार लोगों की क्षमता है लिहाजा गंगोत्री धाम में 10 हजार से ज्यादा यात्री रह सकते हैं।
चार धाम महापंचायत के पदाधिकारी बृजेश सती का कहना है की पर्यटन विभाग के अधिकारियों ने ये फैसला देहरादून सचिवालय में ऐसी में बैठ कर लिया है और ग्राउंड रियल्टी को नहीं जाना है और ना ही स्थानीय लोगों से बात की है। पुरोहितों और महापंचायत पदाधिकारियों को कहना है की पर्यटन विभाग भक्त और भगवान के बीच में खड़े होकर अपने सुविधा के अनुसार चारो धामों में पक्षपात कर चार धामों में भी कुछ धामों को ग्लैमराइज करने का प्रयास कर रहा है और भक्त और भगवान के बीच में खड़े होने का प्रयास कर रहा है। बृजेश सती का कहना है को ये श्रद्धा का विषय है और हिंदू धर्म से जुड़े महत्वपूर्ण चार धामों का विषय है। यह कोई हिल स्टेशनों के गलेमर से जुड़ा विषय नही है।