हरीश थपलियाल, देहरादून। रक्षाबंधन हर साल सावन महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। लेकिन इसमें नियम यह है कि रक्षाबंधन भद्रा रहित काल में ही करना चाहिए। भद्रा काल में रक्षासूत्र यानी राखी बंधवाना बेहद अशुभ माना जाता है। इसलिए शास्त्रों में कहा गया है कि भद्रा परिहार यानी त्याग करके ही रक्षाबंधन का पर्व मनाना चाहिए। इसके साथ ही इस साल पूर्णिमा तिथि भी दो दिन होने से रक्षाबंधन का पर्व किस दिन मनाया जाना चाहिए इस पर उलझन की स्थिति है। कई पंडित 11 अगस्त को रक्षाबंधन बता रहे हैं तो कई 12 अगस्त को। ऐसे में राखी यानी रक्षाबंधन की सही तिथि और मुहूर्त को लेकर आप उलझन में हैं तो आपके लिए सटीक जानकारी यह है कि अबकी बार रक्षाबंधन 12 अगस्त को मनाया जाना सर्वोत्तम रहेगा। इस दिन राखी बंधवाने से किसी प्रकार का दोष नहीं लगेगा।
रक्षाबंधन के लिए शास्त्रों में जो नियम बताए गए हैं उसके अनुसार सावन यानी श्रावण पूर्णिमा के दिन भद्रा के समय का त्याग करके राखी का पर्व मनाना चाहिए। अबकी बार सावन पूर्णिमा का आरंभ 11 अगस्त को 10 बजकर 39 मिनट पर हो रहा है ठीक इसी समय से भद्रा भी लग जा रहा है जो रात में 8 बजकर 53 मिनट पर समाप्त होगा। ऐसे में बहुत जरूरी होने पर आप चाहें तो 11 अगस्त को प्रदोष काल में भद्रा पुच्छ के समय शाम 5 बजकर 18 मिनट से 6 बजकर 18 मिनट तक के बीच रक्षा सूत्र बंधवा सकते हैं। या फिर भद्रा समाप्त हो जाने पर रात 8 बजकर 54 मिनट से 9 बजकर 49 मिनट के बीच राखी बंधवा सकते हैं। लेकिन पारंपरिक रूप से सूर्यास्त के बाद राखी नहीं बांधते हैं। इन्हीं कारणों से 11 जुलाई को राखी बंधवाने से बेहतर है आप 12 अगस्त को राखी का त्योहार मनाएं।
12 अगस्त को रक्षाबंधन अधिक शुभ फलदायी
हिंदू धर्म में एक नियम है कि जिस तिथि में सूर्योदय होती है उस पूरे दिन उसी तिथि का मान होता है यानी वही तिथि मानी जाती है। 12 अगस्त को सुबह 7 बजकर 6 मिनट तक पूर्णिमा तिथि होने से इस दिन पूर्णिमा तिथि का ही मान रहेगा क्योंकि सूर्योदय के समय पूर्णिमा तिथि व्याप्त रहेगी। इस दिन भद्रा का साया भी नहीं रहेगा। इसलिए 12 अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार मनाना हर दृष्टि से शुभ रहेगा। देहरादून के गुरु राम रॉय संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ राम भूषण बिजल्वाण ने ग्राउंड जीरो से यह जानकारी साझा की है।