पुरोला नगर पंचायत अध्यक्ष नेगी ने अपनी प्रतिक्रिया से छह आरोपों का सामना किया।
पुरोला नगर पंचायत के अध्यक्ष हरिमोहन नेगी को सरकार ने वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोपों में बर्खास्त कर दिया है। इस पद को खाली कर दिया गया है। शासन ने यह फैसला जिलाधिकारी और शहरी विकास निदेशालय की जांच और नेगी से उत्तर मिलने के बाद लिया है।
पुरोला नगर पंचायत के अध्यक्ष हरिमोहन नेगी ने अपने ही उत्तरों से सवाल उठाया। उन्हें चतुराई से हर आरोप का जवाब देने की कोशिश की, लेकिन सरकारी नियमों को भूल गए। रिपोर्ट उन पर लगे आरोपों और जांच में सामने आए तथ्यों पर आधारित है।
आरोप १: राज्य वित्त, 15वां वित्त और अवस्थापना विकास निधि के खर्चों में नगर पंचायत पुरोला में अनियमितता हुई।
-नेगी ने कहा कि बोर्ड बैठक और सदस्यों से मिले पत्रों के आधार पर निर्माण कार्य कराया गया था। माप पुस्तिका दी गई। डीएम और निदेशालय की जांच से पता चला कि नेगी का उत्तर संतोषजनक नहीं था। उत्तराखंड अधिप्राप्ति नियमावली 2017 का उल्लंघन, कार्य के सापेक्ष अधिक भुगतान, ठेकेदारों को अग्रिम भुगतान से सरकारी धन की हानि, और एक ही काम को कई मदों में दोषी पाया गया था।
आरोप दो: 14 दिसंबर 2020 को हुई बोर्ड बैठक में नगर पंचायत के अभिलेखों को कटिंग और ओवरराइटिंग करने का प्रस्ताव किया गया था।
नेगी ने जवाब दिया कि प्रस्ताव कर्मचारी ने अव्यवस्थित रूप से लिखे थे, बिना किसी विराम के। उनका उत्तर संतोषजनक नहीं था। परीक्षण से पता चला कि बोर्ड बैठक के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया था और पारित निर्णयों की सूचना विहित अधिकारी, जिला मजिस्ट्रेट और शहरी विकास निदेशालय को नहीं भेजी गई थी. इससे नगर पालिका अधिनियम 1916 की धारा 94 का उल्लंघन हुआ था।
आरोप ३: कोविड-19 के दौरान 26 लाख 25 हजार से अधिक माल खरीदा गया, जिसका कोई अभिलेख नहीं है।
नेगी ने कहा कि एसडीएम पुरोला के आदेश के अनुसार धनराशि का भुगतान किया गया है। परीक्षण ने पाया कि COVID-19 के दौरान सामग्री खरीदने में उत्तराखंड अधिप्राप्ति कानून का उल्लंघन किया गया था।
आरोप चार: आउटसोर्स से चार पदों को नगर पंचायत अध्यक्ष ने नियुक्त किया।
-नेगी ने कहा कि 2019 में चार स्वयंसेवक तैनात किए गए, लेकिन निकाय की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण 2020 में उन्हें निकाल दिया गया। जांच में पता चला कि नेगी ने 27 अप्रैल 2018 को जारी शासनादेश के नियमों का उल्लंघन किया है।
आरोप-५: विद्युतीकरण के नाम पर झूठ बोल गया। सभासदों के आदेशों के खिलाफ अध्यक्ष और ईओ ने लाखों रुपये अपने निजी फायदे के लिए खर्च किए हैं।
– नेगी ने कहा कि निकाय में विद्युतीकरण की व्यवस्था अति महत्वपूर्ण थी। विपरीत परिस्थितियों और अव्यवस्था को देखते हुए निकाय ने कोटेशन के माध्यम से एलईडी सड़क लाइटें खरीदीं। जांच में उनका जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया था। टेंडर के बिना दस लाख से अधिक की एलईडी लाइट खरीदने में अधिप्राप्ति नियमावली 2017 का उल्लंघन हुआ।
आरोप छह: ईंधन का व्यापक दुरुपयोग किया गया था। बिल नगर पंचायत के नाम फाड़ते हुए अध्यक्ष ने कांग्रेस के अपने प्रियजनों और संबंधियों की शादियों को उत्साहित किया।
नेगी ने कहा कि राजकीय उद्देश्यों के लिए उपयुक्त वाहन नहीं होने पर निदेशालय को वाहन खरीदने का पत्र भेजा गया था। स्वीकृति न मिलने पर उन्होंने अपने वाहन को इस्तेमाल किया, जिसका कोई किराया या मरम्मत का बिल नहीं था। EO के निजी वाहन का उपयोग जनहित में किया गया।
परीक्षण में पता चला कि अध्यक्ष ने अपनी निजी कार में डीजल-पेट्रोल भरवाया था। इसके अलावा, निकाय ने जुलाई 2020 से सितंबर 2021 तक एक वाहन किराए पर लिया, जिसके लिए नौ लाख २३ हजार रुपये का भुगतान किया गया था। नगर पंचायत को कुल 11 लाख 73 हजार रुपये की क्षति हुई है। जो अधिप्राप्ति कानून का उल्लंघन करता है।
नोटिस जारी किया गया था
पिछले साल आठ जुलाई को डीएम ने जांच रिपोर्ट शासन को भेजी थी, जिसके आधार पर 16 जनवरी को शासन ने नेगी को कारण बताओ नोटिस भेजा था। 7 फरवरी को नेगी ने उत्तर भेजा, जिसके बाद 31 मार्च को शासन ने शहरी विकास निदेशक को मामले की व्यापक जांच करने के लिए कहा। 16 जुलाई को, निदेशालय ने पूरी जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी।
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