विरमानी को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया। पूछताछ में कई अन्य लोगों के नाम सामने आए हैं, जिनकी जल्द गिरफ्तारी हो सकती है।
वरिष्ठ अधिवक्ता कमल विरमानी ने फर्जी रजिस्ट्रियों के खेल का असली मास्टरमाइंड बताया। रजिस्ट्रियों की अधिकांश ड्राफ्टिंग विरमानी के चैंबर में हुई थी। इसके बाद विरमानी ने इन रजिस्ट्रियों की पैरवी करवाकर राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करा दिया। विरमानी ने गिरोह की मदद की है और करोड़ों रुपये लेकर इन जमीनों को माफिया के नाम किया गया है. ऐसी करीब २० से अधिक फर्जी रजिस्ट्रियां बनाई गई हैं।
विरमानी को रविवार को पुलिस ने न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया। पूछताछ में कई अन्य लोगों के नाम सामने आए हैं, जिनकी जल्द गिरफ्तारी हो सकती है।
रविवार को एसएसपी दलीप सिंह कुंवर ने अधिवक्ता कमल विरमानी की गिरफ्तारी पर पत्रकार वार्ता की। 15 जुलाई को फर्जी रजिस्ट्रियों से जमीन खरीदने और रजिस्ट्रार कार्यालय में जिल्दों से छेड़छाड़ के मामले में कोतवाली शहर में मुकदमा दर्ज किया गया था। एसपी ट्रैफिक सर्वेश पंवार की अध्यक्षता वाली एसआईटी इसकी विवेचना कर रही है। जांच के दौरान अब तक आठ लोग गिरफ्तार किए गए हैं।
वकील कमल विरमानी का नाम पूछताछ के दौरान सामने आया। विरमानी ने पिछले दिनों कोर्ट में आत्मसमर्पण की मांग भी की थी, लेकिन तब तक उसे आरोपी नहीं बनाया गया था। लेकिन शनिवार शाम को पर्याप्त साक्ष्य मिलने पर विरमानी को गिरफ्तार कर लिया गया।
रोहताश और इमरान ड्राफ्टिंग करते थे
एसएसपी ने बताया कि इस मामले में आरोपी केपी सिंह (सहारनपुर निवासी) विरमानी से काफी समय से परिचित था। डालनवाला की संपत्ति का केस उसके पास आया था। विरमानी ने इसमें काफी मदद की। केपी सिंह ने सहारनपुर की कुछ रजिस्ट्रियां बनाकर विरमानी को दीं। विरमानी को बताया गया कि यदि ये जमीनें उसके मित्रों के नाम पर चढ़ जाएं तो इससे करोड़ों रुपये मिल सकते हैं। पुरानी और विवादग्रस्त जमीन की फर्जी रजिस्ट्रियों का खेल इसके बाद शुरू हुआ। आरोपी कमल विरमान अपने चैंबर में इन सभी रजिस्ट्रियों को ड्राफ्ट करता था। विरमानी इन्हें बनाकर मुंशी रोहताश और वकील इमरान को देता था।
पैरवी कर राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करता था
इमरान और रोहताश ने अजय क्षेत्री, डालचंद और विकास पांडेय की सहायता से इन रजिस्ट्रियों को अन्य दस्तावेजों के साथ रजिस्ट्रार और राजस्व रिकॉर्ड रूम में रखवाया था। बाद में विरमानी अपने स्तर पर इन रजिस्ट्रियों से संबंधित केसों की पैरवी करता था और राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज कराता था। पूछताछ में आरोपी विरमानी ने भी अपनी इस करतूत को स्वीकार किया है।
10 करोड़ रुपये का एक सौदा
पुलिस का कहना है कि इस पूरे मामले में एक खाते में भी 10 करोड़ रुपये से अधिक का लेनदेन हुआ है। पुलिस आरोपियों के बैंक खातों की सूचना प्राप्त कर रही है। इसके अलावा, ब्लैक मार्केट में भी करोड़ों रुपये का सौदा हुआ है। वकील इमरान की गिरफ्तारी पर ही 20 करोड़ रुपये से अधिक के लेनदेन की पुष्टि हुई है। 100 करोड़ रुपये से अधिक का मामला हो सकता है।
मूल दस्तावेजों को जलाकर नष्ट करना
आरोपियों ने रिकॉर्ड रूम और रजिस्ट्रार ऑफिस से निकाले गए मूल दस्तावेजों को भी जलाकर नष्ट कर दिया है। पुलिस ने कहा कि फोरेंसिक लैब को भी दस्तावेज भेजे गए हैं, ताकि रजिस्ट्रियों में छेड़छाड़ की गई है। एसएसपी ने कहा कि मामले में नाम सामने आने वाले व्यक्तियों की जांच के लिए टीमें लगातार काम कर रही हैं। इस सप्ताह कुछ अतिरिक्त गिरफ्तार होंगे।
रिमांड पर कोट में गंभीर विवाद
रात करीब साढ़े तीन बजे पुलिस ने आरोपी अधिवक्ता कमल विरमानी को एसीजेएम प्रथम उर्वशी रावत की कोर्ट में पेश किया। अभियोजन ने यहां अपने दावे व्यक्त किए और न्यायिक हिरासत की मांग की। अभियोजन अधिकारी ममता मैंदोली ने बहस की। मुकदमे के विवेचना अधिकारी राजेश गुसाईं ने कोर्ट को बताया कि विरमानी को गिरफ्तार करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। दस्तावेजों को विरमानी के चेंबर में ड्राफ्ट किया गया है।
यही नहीं, अब तक गिरफ्तार हुए आरोपियों में से एक ने विरमानी का नाम भी लिया है। विरमानी ने पुलिस हिरासत में भी इस बात को माना है। इस पर एसके धर और आदित्य सिंह, बचाव पक्ष के अधिवक्ता, ने अभियोजन के दावे को खारिज कर दिया। बचाव पक्ष ने बताया कि विरमानी ने तीन दिन पहले सरेंडर प्रार्थनापत्र भेजा था।
पुलिस ने इसके जवाब में कहा कि उन्हें अभी मुल्जिम नहीं बनाया गया है। ऐसे में पुलिस को तीन दिन के भीतर कौन से साक्ष्य मिले कि उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया? इसके अलावा, अन्य आरोपियों के कहने से किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। साथ ही, विरमानी ने पुलिस के सामने दिए गए बयान ठोस साक्ष्य नहीं हो सकते हैं अगर वह बोली है।
बचाव ने कहा कि विरमानी के पास सलाह लेने आने वाले लोगों को सलाह देना है। ऐसे में यह अपराध नहीं है। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने अपना निर्णय कुछ समय के लिए सुरक्षित रखा। थोड़ी देर बाद, अभियोजन ने विरमानी को न्यायिक हिरासत दी।