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Thursday, November 21, 2024

बीजेपी कार्यकर्ता मनोज कोहली ने छोड़ दी पार्टी, दल नही दिल बड़ा होना चाहिए ? जानिए क्या है मामला

 

ये देश क्रांतिकारियों का है, झटके में बदलाव हो जाते है, बदलाव हो भी क्यों न ? झूठ की गांठ कब तक बांध कर रखोगे…. पार्टी….पार्टी…..पार्टी….क्या होती है… समाज से बड़ी तो कतई नहीं…होती  ? चुप रह कर मुझे निजी लाभ हो सकता है मगर मेरे समाज को नही…..पिछले दस वर्षों से देख रहा हूं, समझ रहा…आज नही तो कल ठीक हो जायेगा लेकिन धर्म के बल पर अधर्म हो रहा है मैं ऐसे नारकीय जीवन नही जी सकता……नाम बड़ा दर्शन छोटे……हमारा उत्तराखंड राज्य भी संघर्षों की नींव पर स्थापित हुआ.. श्री देव सुमन, माधो सिंह भंडारी, जीतू बगड़वाल का इतिहास जानना होगा तभी लहू गर्म होगा..? ये मामूली लोग नही थे जिन्होंने सिर्फ और सिर्फ समाज के लिए अपना जीवन त्याग दिया था…..इनका अनुसरण करने की आवश्यकता है। बस चिंता इस बात की है कि हमारा लहू गर्म कब होगा….ईमानदारी से कह रहा हूं लोगों को मूर्ख बनाया जा रहा है और लोग बन भी रहे…..समाज के लिए संघर्ष करना जारी रहेगा पहले भी किया आगे भी करता रहूंगा मगर किसी की छतरी के नीचे नही रहूंगा। ऊपर वाले ने इतनी बड़ी छतरी दी है हम सबको……मुख में राम बगल में छूरी ये सब नही चलने वाला है। मैं बीजेपी का छोटा सा कार्यकर्ता रहा लेकिन अब नही…..मनोज कोहली श्याम ने सोशल मीडिया में अपलोड कर अपने त्याग पत्र की जानकारी दी। और टिहरी लोकसभा से निर्दलीय प्रत्याशी बॉबी पंवार को वे अपना समर्थन देंगे। उन्होंने आगे लिखा कि नामालूम वो मुझे जानते हैं, या नही, पर मै उनके संघर्ष से परिचित हूं। संघर्ष जो उत्तराखण्ड के युवाओं के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ के लिए था और उत्तराखण्ड में फैले गंभीर भ्रष्टाचार विरूद्ध आज भी जारी है।उस संघर्ष का जीवित रहना उत्तराखण्ड के युवाओं और आम जन के भविष्य के लिए जरुरी है। मेरा सौभाग्य रहा की मेरी समाजिक सेवाओं को देने का अवसर मुझे विश्व के सबसे बड़े राजनैतिक दल में भी प्राप्त हुआ।जिसके लिए सम्मान कभी कम नहीं हो सकता। दल बड़ा है इसमें कोई संदेह नहीं, पर बॉबी पंवार का संघर्ष दल से बहुत बड़ा है। इस समय दल की नहीं दिल की राजनीति होगी, और दिल बॉबी पंवार और युवाओं के साथ हो जाने के लिए कह रहा है, साथ ही साथ यह चिंता भी सता रही है कि इस समय यदि संघर्ष के साथ नहीं रहे तो भविष्य में कोई संघर्ष करने का साहस नहीं करेगा और फिर अपना राज्य भी तो हमे बड़े संघर्ष और कुर्बानियों के साथ मिला है। और वह कुर्बानियां उत्तराखंड के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने और केवल राजनीति जो भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए तो नहीं थी।

 

 

 

 

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